गाज़ियाबाद। वसुंधरा स्थित मेवाड़ संस्थान में चल रही श्रीराम कथा के पांचवे दिन भगवान श्रीराम और जानकी विवाह प्रसंग की धूम रही। गुरु की महिमा पर भी कथावाचक संत अतुल कृष्ण महाराज ने विहंगम दृष्टि डाली। गुरु राम किंकर उपाध्याय के अनुसार तीन प्रकार से जीवन जिया जाता है। पहला, मानव जन्म लेकर भक्ति को प्राप्त करना। दूसरा, भक्ति के साथ जीवन को जीना। यानी, जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिये। तीसरा, भक्ति में आये विकार को दूर करके जीवन जीना। अतुल कृष्ण ने कहा कि राम विवाह ऋषि विश्वामित्र की अगुवाई में हुआ। राजा जनक पहली ही बार मे राम को देखकर देखते ही रह गए।
उन्होंने कहा कि बलवान होने के बावजूद भगवान राम विनम्र हैं। वह अपने रूप, शील और बलवान से सकल जगत को जीतते हैं। सीता स्वयंवर में भी अनेक राजा आये, लेकिन सब अपने अहम के कारण शिव धनुष नहीं उठा सके। जबकि राम ने धनुष पर प्रत्यंचा ही नहीं चढ़ाई, बल्कि उसे तोड़कर राजाओं की सीता को जीतने की मानसिकता को भी भंग किया। भगवान परशुराम का क्रोध भी अपने अकाट्य तर्कों से शांत किया।
श्रीराम कथा के पांचवे दिन मानस पूजन करने वालों में मेवाड़ संस्थान के अध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार गदिया, महासचिव अशोक कुमार सिंघल, आनंद सिंह, प्रशांत सिंह, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर बीबी गोयनका, समर्पण सेवा संस्थान के रवि कुमार, जय भारत मंच के संयोजक गिरीश जुयाल, गुलशन बजाज आदि रहे। कुशल संचालन कवि डॉ. चेतन आनंद ने किया।
हमारा न्यूज़ चैनल सबस्क्राइब करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
Follow us on Facebook http://facebook.com/HamaraGhaziabad
Follow us on Twitter http://twitter.com/HamaraGhaziabad
Discussion about this post