गाज़ियाबाद। लॉटरी के माध्यम से पैसे इकट्ठे कर पाकिस्तान भेजने के आरोप में यूपी एटीएस ने गाज़ियाबाद से दो लोगों को गिरफ्तार किया है। इनके पास से विभिन्न बैंकों के 32 एटीएम कार्ड, 5 पासबुक, तीन बैंकों की चेक बुक, 4 मोबाइल, एक टैब और स्कूटी बरामद की है। हैरान करने वाली बात यह है कि दोनों आरोपित गाज़ियाबाद के अलग-अलग इलाकों में रहकर लंबे समय से पाकिस्तान के लिए टेरर फंडिंग कर रहे थे, मगर स्थानीय पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी।
गिरफ्तारी के बारे में जब गाज़ियाबाद के कप्तान सुधीर कुमार सिंह और एसपी सिटी डॉक्टर मनीष मिश्र से बात की गई तो उन्होंने इससे साफ इनकार कर दिया, वहीं देर शाम एटीएस लखनऊ ने इस संबंध में प्रेस नोट जारी कर बताया कि दोनों ही आरोपित गाज़ियाबाद में रहते थे, बल्कि दोनों ही मूल रूप से कहीं और के रहने वाले हैं।
एटीएस के लखनऊ थाने में आरोपितों के खिलाफ धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेज तैयार करने और इनका प्रयोग करने की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। यह जांच एटीएस की नोएडा यूनिट कर रही है।
35 लाख से अधिक रुपए पाकिस्तान को भेजे
एटीएस लखनऊ की ओर से जारी प्रेस नोट के मुताबिक गाज़ियाबाद में मोहन नगर से सोमवार को प्रकाश उर्फ जयप्रकाश रुहेला को गिरफ्तार किया गया है जो कि मूल रूप से शामली के राम साला मोहल्ला का निवासी है और हाल में गाजियाबाद में राज नगर एक्सटेंशन स्थित क्लासिक रेजिडेंसी के ब्लॉक-1 में फ्लैट संख्या 602 में रह रहा था। दूसरे आरोपित की पहचान धीरुउद्दीन चौधरी के रूप में हुई है, जो मुजफ्फरनगर के खरड़ गांव का रहने वाला था। आरोपित पसोंडा में रह रहा था।
शुरुआती पूछताछ में पता चला है कि जयप्रकाश का 10 पाकिस्तानियों से लगातार संपर्क था और उसने लॉटरी के माध्यम से किए गए फ्रॉड से 1500000 रुपए पाकिस्तान भेजे हैं साथ ही धीरुद्दीन से हुई पूछताछ में पता चला है कि उसके खाते से भी 2000000 रुपए पाकिस्तानी खातों में जमा कराए गए हैं।
पुलिस के मुताबिक जयप्रकाश 2013 में भी जेल जा चुका है उत्तराखंड की रुड़की कोतवाली पुलिस ने जयप्रकाश को लाटरी के माध्यम से फ्रॉड करने के आरोप में जेल भेजा था वही धीरुद्दीन को पुलिस ने मुजफ्फरनगर के फुगाना गांव में डकैती दौरान हत्या के मामले में बागपत पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
अब होगी विस्तृत जांच
एटीएस से जुड़े सूत्रों की मानें तो दोनों ही आरोपित अपने मूल पतों को छोड़कर गाज़ियाबाद में फर्जी तरीके से बसे हुए थे। मोहन नगर से गिरफ्तार करने के बाद पुलिस ने इनके वर्तमान पदों की जानकारी कराई तो दोनों गाज़ियाबाद के निकले हालांकि शुरुआती जांच में स्पष्ट नहीं हो पाया है कि दोनों आरोपी किराए पर रह रहे थे या इन्होंने अपना फ्लैट लिया हुआ है।
सूत्रों की माने तो मुकदमा दर्ज होने के बाद जांच में आरोपितों के गाज़ियाबाद में बसने के जरिए और इन से जुड़े अन्य लोगों का पता लगाने का प्रयास किया जाएगा। सूत्रों की मानें तो दोनों ही आरोपी पुलिस वेरिफिकेशन नहीं हुई है स्थानीय पुलिस पर सवाल उठ गए हैं जो कि बार-बार किरायेदारों के वेरिफिकेशन को लेकर बड़े-बड़े दावे करती है।
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