नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में भारी प्रदूषण के मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र और दिल्ली सरकार को जमकर फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य सचिव (पंजाब) से कहा कि हम राज्य की हर मशीनरी को इसके लिए ज़िम्मेदार ठहराएंगे। आप इस तरह लोगों को मरने नहीं दे सकते। साथ ही कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में दमघोंटू माहौल है, क्यों कि आपने सक्षम कदम नहीं उठाए।
सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कड़े शब्दों में कहा- ‘लोगों को गैंस चैंबर में रहने के लिए क्यों मजबूर किया जा रहा है? इससे बेहतर उन्हें एक बार में ही मार दिया जाए। 15 बैग्स में विस्फोटों से उड़ा देना बेहतर है। आम जनता यह सब क्यों सहन करे। दिल्ली में आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है, हम हैरान हैं।’ जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा- ‘दिल्ली नर्क से बदतर हो गई है। देश में जिंदगी सस्ती है।’ इसी के साथ दिल्ली में सत्तासीन सरकार को लेकर कहा- ‘दिल्ली की सत्ता में बने रहने का हक नहीं है।’
वहीं, दिल्ली सरकार के प्रमुख सचिव ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि केंद्र और राज्य, दो केंद्र होने के चलते दिक्कत पेश आ रही है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से कहा कि दोनों अपने बीच दूरी कम करें और एक साथ बैठकर 10 दिन के भीतर शहर के विभिन्न भागों में एयर प्यूरिफाइंग टावर्स लगाएं।
दिल्ली की हवा को प्रदूषित कर रहे वाहनों के प्रति सख्त रवैया अख्तियार करते हुए दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने पिछले आठ दिनों में छोटे-बड़े 63 वाहनों से 49 लाख 15,000 रुपये का एन्वायरन्मेंटल कंपनसेशन (ईसी) वसूल लिया है। बड़े वाहनों पर एक लाख रुपये और छोटे वाहनों पर 50 हजार रुपये का ईसी लगाया गया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर डीपीसीसी ने यह जुर्माना 15 से 23 नवंबर के बीच चलाए गए अभियान के दौरान वसूल किया है।
दूसरी तरफ दिल्ली के विभिन्न पेट्रोल पंपों से लिए गए सैंपलों की जांच में पेट्रोल और डीजल में मिट्टी के तेल की मिलावट नहीं पाई गई है। कई सैंपलों की रिपोर्ट आना अभी बाकी है। डीपीसीसी के अनुसार, परिवहन विभाग ने नियमों का उल्लंघन करने वाले 1807 वाहनों के चालान किए हैं। इनमें से ज्यादातर वाहनों के प्रदूषण जांच प्रमाण पत्र भी नहीं थे। इनमें से 558 वाहनों को जब्त किया गया है। मॉनिटरिंग कमेटी ने 8 से 11 नवंबर के बीच 13 हॉट स्पॉट के निरीक्षण किए और रिपोर्ट दी। इन कमियों को दूर कर लिया गया है।
डीपीसीसी, परिवहन विभाग और यातायात पुलिस की संयुक्त टीम ने पेट्रोल की जांच के लिए कई पेट्रोल पंपों और गाड़ियों से सैंपल लिए थे। टीम ने निगम की गाड़ियों से 30 और प्राइवेट गाड़ियों से 213 सैंपल लिए थे। इन सैंपलों की जांच नोएडा स्थित फ्यूल टेस्टिंग लैब में करवाई। 71 सैंपलों के परिणाम 22 नवंबर तक आ चुके हैं। इनमें से सभी सैंपल बीएस-4 और 6 के स्टैंडर्ड पर खरे उतरे। इनमें मिट्टी के तेल की मिलावट नहीं मिली। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने भी पेट्रोल और डीजल के के 150 सैंपल लिए हैं। इनकी रिपोर्ट आनी बाकी हैं।
इसी क्रम में इस दौरान 351 ऐसे उद्योगों को बंद किया गया है जो प्रदूषण फैला रहे थे। इसके अतिरिक्त 319 ऐसे उद्योगों को भी बंद किया गया है जो पीएनजी के अलावा दूसरे ईंधन का इस्तेमाल कर रहे थे। प्रदूषण को लेकर सीपीसीबी के समीर ऐप पर मिली 1099 शिकायतों में से अब सिर्फ 44 शिकायतें ही लंबित हैं। इनके तहत विभिन्न जगहों से 54,308 मीट्रिक टन मलबा हटाया जा चुका है। 57,937 मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरा हटाया जा चुका है। 344 किलोमीटर लंबी सड़कों को गड्ढा मुक्त किया गया है। वहीं, लोक निर्माण विभाग हरित क्षेत्र बढ़ाने के लिए अब तक 18 हजार पौधे लगा चुका है।
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