गाज़ियाबाद। विद्युत निगम के अधिकारी और कर्मचारियों ने सोमवार को कार्य बहिष्कार किया। इससे बिजली घरों में कामकाज पूर्ण रूप से प्रभावित रहा। काउंटर न खुलने से लोग बिजली बिलों का भुगतान नहीं कर पाए। नए विद्युत कनेक्शन, चेक मीटर लगाने के लिए आवेदन लेकर आए लोगों को लौटना पड़ा। दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल की राह में आ रही विद्युत लाइन की शिफ्टिग का कार्य भी नहीं हो सका। पीएफ घोटाले के विरोध में कार्य बहिष्कार मंगलवार को भी जारी रहेगा।
पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम में पिछले माह 2267 करोड़ रुपये का पीएफ घोटाला सामने आया था। निजी कंपनी में निवेश करने से पीएफ का पैसा डूबने के तथ्य सामने आए थे। इस घोटाले में गाजियाबाद के 487 अधिकारियों और कर्मचारियों के पीएफ के करीब 225 करोड़ रुपये डूबे। पिछले कई दिनों से लगातार कर्मचारी घोटाले के विरोध में धरना-प्रदर्शन कर रहे थे। चार नवंबर को लखनऊ में निकाली गई प्रदेश व्यापी विरोध रैली में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने मांग रखी थी कि घोटाले के दोषियों को गिरफ्तार किया जाए।
प्रदेश सरकार द्वारा पीएफ का पैसा लौटाना सुनश्चित किया जाए। मांग पूरी न होने पर कार्य बहिष्कार करने की चेतावनी दी गई थी। सोमवार को उसके तहत ही कार्य बहिष्कार किया गया। राजनगर स्थित विद्युत निगम के मुख्य कार्यालय में अधिकारी और कर्मचारियों ने धरना दिया। 68 बिल भुगतान काउंटर बंद रहे। इन काउंटरों पर पहुंचे लोगों को लौटना पड़ा। बिजली के नए कनेक्शन के लिए आवेदन लेकर पहुंचे लोगों की सुनवाई नहीं हुई। इसके अलावा कई अन्य कार्य प्रभावित रहे।
सोमवार को शुक्र रहा कि विद्युत आपूर्ति होती रही। कार्य बहिष्कार के दौरान आपूर्ति बाधित हो जाती तो लोगों ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ता। कर्मचारी फॉल्ट ठीक करने तक के लिए तैयार नहीं थे। उनका कहना था कि दो दिन का पूर्ण कार्य बहिष्कार है।
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