गाज़ियाबाद। 14 नवंबर 1976 को यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने मेरठ जिले की इस तहसील को जिला घोषित किया था। नई पहचान मिलने के बाद गाजियाबाद ने विकास के ऐसे आयाम हासिल किए कि यूपी में अपना विशेष स्थान बना लिया।
जिला बनने के बाद से ही गाजियाबाद ने सामाजिक, आर्थिक और कृषि के क्षेत्र में अभूतपूर्व वृद्धि हासिल की।गाजियाबाद के उत्तर क्षेत्र में बुलंदशहर और गौतमबुद्धनगर स्थित हैं, तो दक्षिण में इसकी सीमाएं मेरठ जनपद से मिलती हैं। दक्षिण-पश्चिम में दिल्ली जबकि पूरब में हापुड़ जिले से इसकी सीमा मिली हुई है।
दिल्ली से उत्तर प्रदेश में जाने के लिए गाजियाबाद होकर ही जाना पड़ता है, इसलिए गाजियाबाद को उत्तर प्रदेश का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है।जिला बनने के बाद से ही गाजियाबाद ने विकास का सफर तेजी से तय किया। एक के बाद एक नई इंडस्ट्रीज ने यहां अपने पैर पसारे। मशीनरी और साइकिल उद्योग के रूप में गाजियाबाद को नई पहचान मिली।
इसके अलावा डीजल इंजन, रेल वैगन, सैन्य सामग्री, इलेक्ट्रानिक उपकरण आदि का निर्माण होता है। यह उत्तर प्रदेश का प्रमुख औद्योगिक शहर है। 1740 ई. में बसाए गए गाजीउद्दीन नामक इस नगर की सीमाएं चार गेटों के अंदर ही सीमित थीं।
देश की आजादी के दौरान तक शहर की हालत ऐसी ही थी मगर जिला बनने के बाद से विकास की ऐसी बयार बही कि देहात तक के क्षेत्र चमक उठे। विकास के साथ ही गाजियाबाद को कई बार नई पहचान मिली। इंदिरापुरम योजना बनी तो यह हॉट सिटी के नाम से विख्यात हो गया। ऊंची-ऊंची इमारतों का सिलसिला शुरू हुआ और कई नई टाउनशिप यहां बसीं।
क्रॉसिंग्स रिपब्लिक और राजनगर एक्सटेंशन ऐसी ही टाउनशिप हैं। इसके बाद एजुकेशन हब के रूप में भी गाजियाबाद ने अपनी पहचान बनाई। एक के बाद एक कई इंजीनियिरिंग और मैनेजमेंट कालेजों की स्थापना हुई, जोकि प्रदेश के टॉप-20 कालेजों में गिने जाते हैं।
सबसे पहले 9 जून 1997 को गाजियाबाद के एक बडे़ हिस्से को काटकर अलग कर दिया गया। नोएडा नाम के इस हिस्से को जिला घोषित करते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने इसे गौतमबुद्ध नगर का नाम दिया।
हालांकि इसके बाद प्रदेश में आई मुलायम सिंह की सरकार ने इस जिले को भंग कर दिया था, मगर लोगों के जबरदस्त आक्रोश और आंदोलन के चलते गौतमबुद्ध नगर को वापस बहाल करना पड़ा। इसी प्रकार 28 सितंबर 2011 को गाजियाबाद से गढ़, हापुड़ और धौलाना क्षेत्र को अलग कर हापुड़ जिले का गठन कर दिया गया।
गाजियाबाद से ही पहले मेरठ से बुलंदशहर स्वतंत्र जनपद बना था, मगर विकास की दौड़ में गाजियाबाद बुलंदशहर से काफी आगे निकल गया। ज्यादा से ज्यादा लोगों ने गाजियाबाद में ही अपना आशियाना बनाया। यही कारण रहा कि वर्ष 1994 में गाजियाबाद नगर पालिका को नगर निगम बना दिया गया। उधर, बुलंदशहर में आज भी नगर पालिका ही है।
एजुकेशन हब का हाल भी ऐसा ही हुआ। जितनी तेजी से शिक्षा के केंद्र यहां खुले थे, उतनी ही तेजी से इन केंद्रों की हालत पतली होती चली गई।जनसंख्या बढ़ने के साथ ही गाजियाबाद में पॉल्यूशन का ग्राफ भी तेजी से बढ़ा। जल, वायु और ध्वनि प्रदूषण यहां लगातार बढ़ता चला गया।
1951 की जनगणना के अनुसार जहां गाजियाबाद की आबादी मात्र 43745 थी, वहीं 2011 में यह 46.61 लाख तक जा पहुंची। बढ़ते जनसंख्या धनत्व के चलते कभी महानगर की पहचान मानी जाने वाली हिंडन नदी का अस्तित्व भी खतरे में आ चुका है। वर्तमान में हिंडन का पानी नहाने लायक भी नहीं रहा। इस नदी में प्रदूषण इतना बढ़ चुका है कि जलीय प्राणी भी समाप्त हो गए।
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