नई दिल्ली। एनजीटी के आदेश पर हिंडन और यमुना नदी के प्रदूषित क्षेत्रों में उगाई जा रही हरी सब्जियों की जांच की जाएगी, जिससे यह मालूम हो सकेगा कि यह सब्जियां हमारे स्वास्थ्य के लिए कितनी हानिकारक हैं। जांच के दौरान पोषक व हानिकारक तत्वों का पता लगाने के लिए खास तरीका अपनाया जाएगा।
इसके लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की एक कमेटी नदियों के किनारे की मिट्टी और वहां के पानी का सैंपल लेकर उससे अन्य स्थानों पर पौधे उगाएंगे। साथ ही सामान्य मिट्टी व पानी से भी उसी पौधे को उगाया जाएगा। इसके बाद दोनों पौधों से उगाई गयी सब्जियों में पोषक व हानिकारक तत्वों का पता लगाया जाएगा। इस प्रक्रिया को पूरा करने में कई महीने लग सकते हैं।
यमुना और हिंडन दोनों में ऑक्सीजन कम, प्रदूषण ज्यादा
यूपी प्रदूषण बोर्ड की ओर से नदियों में प्रदूषण को लेकर रिपोर्ट जारी की गई है। इससे पहले जनवरी से अगस्त तक नोएडा एरिया में यमुना के दो स्थानों से सैंपल लिए गए थे। ओखला बैराज के पास जनवरी में घुली हुई ऑक्सीजन की मात्रा सिर्फ 1.2 थी जबकि अगस्त में 5.1 पाई गई है।
वहीं, तिलवाड़ा के पास नदी में अगस्त में घुली ऑक्सीजन की मात्रा 1.3 और इससे पहले लगातार कई महीने तक शून्य रही है। इससे साफ है कि यहां प्रदूषण की मात्रा काफी ज्यादा है, जिसकी वजह से ऑक्सीजन की मात्रा कम हो गयी है।
इसी तरह हिंडन नदी में पिछले दो वर्षों से लगातार घुली हुई ऑक्सीजन की मात्रा शून्य रही है। ऐसे में यहां की मिट्टी और जल दोनों प्रदूषित हैं, जिसकी वजह से यहां उगाई जा रही सब्जियों में भी हानिकारक तत्व होने की आशंका है, जिसकी जांच के लिए अब कमेटी बनाई गई है।
सब्जियों के परीक्षण के लिए लिए जाएंगे अलग-अलग एरिया के सैंपल
जांच के लिए बनी कमेटी के एक सदस्य ने बताया कि दो अलग-अलग एरिया से सैंपल लेकर एक साथ परीक्षण किया जाएगा। उन्होंने बताया कि यमुना और हिंडन के डूब क्षेत्र से मिट्टी व पानी से गमले में सब्जी उगाई जाएगी। इसी तरह सामान्य खेत की मिट्टी व साफ पानी का प्रयोग कर दूसरे गमले में उसी पौधे को लगाया जाएगा।
इसके बाद समय-समय पर डूब क्षेत्र वाले गमले में उसी एरिया की मिट्टी व पानी का प्रयोग किया जाएगा। इसके बाद हुई सब्जी में पोषक व हानिकारक तत्वों का पता लगाया जाएगा। इस बारे में पर्यावरणविद विक्रांत तोगड़ ने बताया कि ऐसी पड़ताल करने की काफी जरूरत है।
मालूम हो कि इनकी जांच प्राइवेट संस्थानों की तरफ से पहले भी की गयी है जिसमें हानिकारक तत्वों के बारे में पता चला है, मगर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की कमेटी पहली बार इसकी जांच करेगी।
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