गाज़ियाबाद। पूर्णिमा तिथि पूर्णत्व की तिथि मानी जाती है। इस तिथि के स्वामी स्वयं चन्द्रदेव हैं। इस तिथि को चन्द्रमा सम्पूर्ण होता है। सूर्य और चन्द्रमा समसप्तक होते हैं। इस तिथि पर जल और वातावरण में विशेष उर्जा आ जाती है। इसीलिए नदियों और सरोवरों में स्नान किया जाता है। कार्तिक की पूर्णिमा इतनी ज्यादा महत्वपूर्ण है कि इस दिन नौ ग्रहों की कृपा आसानी से पाई जा सकती है। इस दिन स्नान, दान और ध्यान विशेष फलदायी होता है। इस साल कार्तिक पूर्णिमा 12 नवंबर को है।
सिख धर्म के लिए भी है बड़ा महत्व
कार्तिक पूर्णिमा का महत्व सिख धर्म में भी बहुत है। माना जाता है कि इस दिन सिखों के पहले गुरु, गुरुनानक देव जी का जन्म हुआ था। इस दिवस को सिख धर्म में प्रकाशोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। इसे गुरु नानक जयंती भी कहते हैं। गुरु नानक जयंती पर गुरुद्वारों में खास पाठ का आयोजन होता है। सुबह से शाम तक कीर्तन चलता है और गुरुद्वारों के साथ ही घरों में भी खूब रोशनी की जाती है।इसके अलावा, लंगर छकने के लिए भी भीड़ उमड़ती है।
किस प्रकार करें स्नान और दान का महत्त्व ?
– प्रातः काल स्नान के पूर्व संकल्प लें।
– फिर नियम और तरीके से स्नान करें।
– स्नान करने के बाद सूर्य को अर्घ्य दें।
– साफ वस्त्र या सफेद वस्त्र धारण करें और फिर मंत्र जाप करें।
– मंत्र जाप के पश्चात अपनी आवश्यकतानुसार दान करें।
– चाहें तो इस दिन जल और फल ग्रहण करके उपवास रख सकते हैं।
– नौ ग्रहों के लिए किस प्रकार नौ दान करें?
– सूर्य के कारण ह्रदय रोग और अपयश की समस्या होती है-
– इसके निवारण के लिए गुड़ और गेंहू का दान करें।
– चन्द्रमा के कारण मानसिक रोग और तनाव के योग बनते हैं-
– इससे बचने के लिए जल, मिसरी या दूध का दान करें।
– मंगल के कारण रक्त दोष और मुकदमेबाजी की समस्या होती है।
– इससे बचने के लिए मसूर की दाल का दान करें।
– बुध के कारण त्वचा और बुद्धि की समस्या हो जाती है-
– इसके निवारण के लिए हरी सब्जियों और आंवले का दान करना चाहिए।
– बृहस्पति के कारण मोटापा, पाचन तंत्र और लिवर की समस्या हो जाती है-
– इसके निवारण के लिए केला, मक्का और चने की दाल का दान करें।
– शुक्र के कारण मधुमेह और आंखों की समस्या होती है-
– इसके निवारण के लिए घी, मक्खन और सफेद तिल आदि का दान करना चाहिए।
– शनि के कारण स्नायु तंत्र और लम्बी बीमारियां हो जाती हैं-
– इसके निवारण के लिए काले तिल और सरसों के तेल का दान करना चाहिए।
– राहु – केतु के कारण विचित्र तरह के रोग हो जाते हैं।
– इसके निवारण के लिए सात तरह के अनाज, काले कम्बल और जूते चप्पल का दान करें।
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