नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या केस पर फैसला सुनाते हुए शुरू में ही शिया वक्फ बोर्ड औ निर्मोही अखाड़ा की याचिकाएं खारिज कर दी हैं। इसके साथ ही कहा है कि मुसलमानों को मस्जिद के लिए दूसरी जगह दी जाएगी। यह फैसला सभी जजों की सहमति से हुआ है। सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि पुरात्व विभाग ने मंदिर होने के सबूत पेश किए हैं। सैकड़ों पन्नों का जजमेंट पढ़ते हुए पीठ ने कहा कि हिंदू अयोध्या को राम जन्मस्थल मानते हैं और रंजन गोगोई ने कहा कि कोर्ट के लिए थिओलॉजी में जाना उचित नहीं है। लेकिन पुरातत्व विभाग यह भी नहीं बता पाया कि मंदिर गिराकर मस्जिद बनाई गई थी।
- मुस्लिम गवाहों ने भी माना कि दोनों पक्ष पूजा करते थे। मस्जिद कब बनीं साफ नहीं है। ASI की रिपोर्ट के मुताबिक खाली जमीन पर मस्जिद नहीं बनाई गई थी।
- प्रधान न्यायाधी ने कहा, सबूत पेश किए गए हैं कि हिंदू बाहरी आहते में पूजा करते थे। विश्वास एक व्यक्तिगत एक मामला है।
- सूट-5 इतिहास के आधार पर है जिसमें यात्रा का विवरण है। सुन्नी वक्फ बोर्ड के लिए शांतिपूर्ण कब्जा दिखाना असंभव है। मस्जिद कब बनी और किसने बनाई साफ नहीं है।
- 1856-57 से पहले हिंदुओं को आंतरिक अहाते में जाने से कोई रोक नहीं थी। मुस्लिमों को बाहरी आहाते का अधिकार नहीं था। सुन्नी वक्फ बोर्ड एकल अधिकार का सबूत नहीं दे पाया।
- आखिरी नमाज दिसंबर 1949 को पढ़ी गई थी। हम सबूतों के आधार पर फैसला करते हैं। मुसलमानों को मस्जिद के लिए दूसरी जगह मिलेगी।
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