नई दिल्ली। मानसिक तनाव के चलते देश में हर दिन करीब 366 लोग आत्महत्या कर रहे हैं जबकि बड़े महानगरों की बात करें तो प्रतिदिन करीब 54 आत्महत्या के मामले दर्ज किए जा रहे हैं। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सर्वाधिक 18 वर्ष से कम आयु के बच्चे ऐसा कर रहे हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2015 में देश में 1,33,623 लोगों ने आत्महत्या की है जिसमें से 53 महानगरों से 19655 मामले सामने आए हैं।
सबसे ज्यादा मामले चैन्ने (2274), बैंग्लोर (1855) और दिल्ली (1553) शामिल हैं। इस सूची में एनसीआर के गाजियाबाद और फरीदाबाद में हुई आत्महत्याएं क्रमश: 204 व 256 को भी लिया है।
रिपोर्ट के अनुसार 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों की सबसे ज्यादा घटनाएं दिल्ली में देखने को मिली हैं। इस आयुवर्ग में यहां 69 लड़कियों और 86 लड़कों ने आत्महत्या कर चुके हैं। विशेषज्ञों की मानें तो मानसिक तनाव स्कूली छात्रों पर हावी है। विभिन्न परीक्षाओं में कम अंक हासिल करने और फेल होने की स्थिति में दिल्ली के बच्चे अपना मानसिक संतुलन खो बैठते हैं।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली के वरिष्ठ डॉक्टरों का कहना है कि स्कूल और कॉलेज जाने वाली उम्र के बच्चे आत्महत्या के कदम उठा रहे हैं। इसके पीछे पढ़ाई का अतिरिक्त बोझ तो मुख्य वजह है ही। साथ ही अन्य भी कई कारण ऐसी स्थिति में काम करते हैं। अगर परिवार चाहे तो सतर्कता रख अपने बच्चों को बचा सकता है। उन्हें फिजुल के तनाव से दूर रख सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में हर एक लाख जनसंख्या में औसतन 11.4 इंसान आत्महत्या करते हैं। भारत में यह दर लगभग दोगुना यानी 20.9 प्रति एक लाख है।
आरएमएल अस्पताल के वरिष्ठ डॉ. सुबोध का कहना है कि घर से लेकर स्कूल व कॉलेज तक में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर लगातार चर्चाएं होने चाहिए। माता पिता को अपने बच्चों से हर छोटी बड़ी बात साझा करनी चाहिए। इन के जरिए काफी हद तक गंभीर घटनाओं को टाला जा सकता है।
ये है महानगरों की स्थिति
शहर कुल केस 18 वर्ष से कम
चैन्ने 2274 94
बैंग्लोर 1855 119
दिल्ली 1553 155
मुंबई 1122 102
पुणे 873 56
अहमदाबाद 869 57
सूरत 663 38
देश के इन राज्यों में सबसे ज्यादा मामले
राज्य कुल मामले
महाराष्ट्र 16,970
तमिलनाडू 15,777
पश्चिम बंगाल 14,602
कर्नाटक 10, 786
मध्यप्रदेश 10, 293
तेलंगना 10,140
अप्राकृतिक मौतों में 6 फीसदी का हुआ इजाफा
वर्ष 2014 की तुलना में साल 2015 में अप्राकृतिक मौतों में 6 फीसदी से ज्यादा का इजाफा देखने को मिला है। वर्ष 2014 में 3,16,828 से बढ़कर साल 2015 में 3,36,051 मामले दर्ज हुए हैं। इनमें 15,165 लोगों की मौत का कारण पता नहीं चल सका। जबकि सबसे ज्यादा 1,77,423 लोगों की मौतें सड़क हादसों में हुई हैं। गौर करने वाली बात है कि भगदड़ की घटनाओं में रिकॉर्ड 169 फीसदी बढ़ोत्तरी हुई है। वर्ष 2014 में भगदड़ से 178 लोगों की मौत हुई थी
भूकंप से मरने वालों 4500 गुना इजाफा
प्राकृतिक मौतों को लेकर चौंकान्ने वाला खुलासा हुआ है। वर्ष 2014 की तुलना में 2015 में 4500 गुना ज्यादा भूकंप से मरने वालों की संख्या देखने को मिली है। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2014 में भूकंप से 2 लोगों की मौत हुई थी जबकि 2015 में 92 लोगों की जान गई है। प्राकृतिक कारणों की वजह से 10,510 लोगों को जान गंवानी पड़ी।
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