नई दिल्ली। कई बार सस्ते में इलाज करवाने के चक्कर में लेने के देने पड़ जाते हैं। ऐसा ही एक मामला पाकिस्तान के एक शहर में प्रकाश में आया है जहां पर सस्ते इलाज का लालच दिखाकर एक डॉक्टर ने वहां के 12 साल की उम्र के लगभग 900 बच्चों में एड्स की बीमारी बांट दी। बात अभी इतने पर ही नहीं रुकी है। शहर के चिकित्सा अधिकारियों का कहना है कि बच्चों की अभी जांच चल रही है इनकी संख्या और भी बढ़ सकती है। फिलहाल इस बारे में जांच पड़ताल की जा रही है।
पाकिस्तान के शहर रैटोडेरो में एक डॉक्टर हैं, इनका नाम मुजफ्फर घांघरू है। ये एक बाल रोग विशेषज्ञ है। दरअसल मुजफ्फर ने शहर में रहने वाले गरीब परिवारों को चिकित्सा देखभाल में छूट देने की घोषणा की थी। इलाज में छूट का लाभ मिलने की बात पता चलने के बाद काफी संख्या में अभिभावकों ने अपने बच्चों को मुजफ्फर के क्लीनिक पर लाकर इंजेक्शन लगवाया। इसी बीच जब पाकिस्तानी चिकित्सा अधिकारियों ने इस मामले में जांच शुरु की तो बच्चों में एचआइवी पॉजीटिव पाया गया।
इसके बाद जब डॉक्टरों ने ये पता लगाया कि इन बच्चों ने पहले कहां इलाज कराया है तो पता चला कि मुजफ्फर की क्लीनिक पर इन सभी को इंजेक्शन लगवाया गया है। इसी के बाद इस मामले का खुलासा हुआ। पाकिस्तान के डॉक्टरों ने 12 साल से कम उम्र के लगभग 900 बच्चों ने अप्रैल से रैटोडेरो में ह्यूमन इम्यूनो डेफिशिएंसी वायरस (एचआईवी) के लिए सकारात्मक परीक्षण किया है, ये सब पॉजीटिव पाए गए। इस टीम के सदस्यों का कहना है कि जिस तरह से बच्चों को ये इंजेक्शन लगाए गए हैं अभी इनकी संख्या बढ़ने की संभावना है।
रैटोडेरो शहर के रहने वाले इम्तियाज जलबानी 6 बच्चों के पिता है। उन्होंने कई दिनों तक अपने और परिवार के सदस्यों को भूखा रखा जिससे वो इंजेक्शन लगवाने के पैसे जमा कर पाएं। उसके बाद जब बच्चों को इंजेक्शन लगवाया तो उनको एड्स जैसी बीमारी मिल गई। उनके 6 बच्चों में से 4 में एचआइवी पॉजीटिव मिला है जिसमें से 2 को मौत हो चुकी है। इसी तरह की एक और कहानी सामने आई। यहां के रहने वाले गुलबीर शेख ने अपनी दो साल की बेटी को भी मुजफ्फर से इंजेक्शन लगवाया था, उसमें भी एचआइवी पॉजीटिव पाया गया।
जैसे-जैसे समय बीत रहा है, अब पाकिस्तान में एचआइवी का परीक्षण करने के लिए सेंटर स्थापित किए जा रहे हैं। शहर में अब तक 2 लाख लोगों में एचआइवी का टेस्ट किया गया जिसमें से 1,112 मामले पॉजीटिव पाए गएहैं। इसमें एक खास बात ये है कि जिनमें एचआइवी के मामले पाए जा रहे हैं वो स्कूली बच्चे हैं।
एचआईवी का पूरा नाम एक्वायर्ड इम्युनोडिफीसिअन्सी सिंड्रोम है। इस बीमारी के होने पर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत ही कमजोर हो जाती है। ये इतनी कमजोर हो जाती है कि इससे पीड़ित व्यक्ति साधारण सर्दी या संक्रमण को भी बर्दाश्त नहीं कर पाता है, जिससे उसकी मृत्यु तक हो जाती है।
इस क्षेत्र में हो सकती है और भी गंभीर बीमारियां
कई महीनों की जांच के बाद अब चिकित्सा अधिकारी ये कह रहे हैं कि रैटोडेरो जैसे गरीब इलाके में और भी कई तरह की गंभीर बीमारियां हो सकती है। दरअसल ये इलाका आर्थिक रूप से काफी पिछड़ा हुआ है जिसके कारण लोग बेहतर इलाज नहीं करवा पाते हैं। उनको जो सस्ता इलाज मिलता है वो वहीं पर जाकर इलाज करवाते हैं। जिसके कारण इस तरह की बीमारियां फैलती हैं।
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