नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान ने ऐतिहासिक करतारपुर गलियारे को चालू करने संबंधी समझौते पर बृहस्पतिवार को हस्ताक्षर किए। इस गलियारे के जरिए भारत के सिख श्रद्धालु पाकिस्तान में स्थित पवित्र दरबार साहिब तक जा पाएंगे। यह गलियारा भारत के पंजाब में डेरा बाबा नानक गुरुद्वारे को करतापुर के दरबार साहिब से जोड़ेगा जो अंतरराष्ट्रीय सीमा से महज चार किलोमीटर दूर है। करतारपुर का गुरुद्वारा पाकिस्तान में पंजाब प्रांत के नरोवाल जिले में स्थित है।
समझौते पर हस्ताक्षर करने संबंधी कार्यक्रम का आयोजन नरोवाल में पाकिस्तान-भारत सीमा पर करतारपुर जीरो प्वॉइंट पर हुआ। इस समझौते के साथ ही गलियारे को चालू करने में आ रही मुख्य बाधा को दूर कर लिया गया है। इस समझौते के बाद अब पाकिस्तान के नरोवाल जिले के गुरुद्वारा दरबार साहिब तक इस गलियारे के जरिए पहुंचा जा सकेगा। गुरुद्वारा दरबार साहिब में सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव ने अपने जीवन के अंतिम 18 वर्ष बिताए थे।
समझौते के तहत, श्रद्धालु सुबह में यहां आएंगे और गुरुद्वारा दरबार साहिब में दर्शन कर शाम तक लौटेंगे। हर दिन कम से कम 5,000 श्रद्धालुओं को बिना वीजा के इस पवित्र स्थल तक आने की अनुमति दी जाएगी। भारत की तरफ से यहां आने वाले श्रद्धालुओं की सूची 10 दिन पहले पाकिस्तान को उपलब्ध करानी होगी। पाकिस्तान सूची की जांच कर यात्रा से चार दिन पहले इसे मंजूर करके भारत को अवगत करायेगा।
पाकिस्तान ने भारतीय एवं प्रवासी भारतीय नागरिक कार्ड धारी विदेशियों के लिए करतारपुर गुरुद्वारे के दर्शन के लिए 20 डॉलर का शुल्क लगाया है। भारत ने बार-बार उससे अनुरोध किया था कि वह तीर्थयात्रियों की भावनाओं का ख्याल रखते हुए शुल्क नहीं लगाये, पर पाकिस्तान ने इस अनुरोध को नहीं माना। तीन चरण की बातचीत के बाद इस समझौते को अंतिम रूप दिया जा सका।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान गुरु नानक देव की 550वीं जयंती से पहले नौ नवंबर को इस गलियारे का औपचारिक उद्घाटन करेंगे। करतारपुर गलियारे का भारतीय क्षेत्र में आने वाले हिस्सा का शिलान्यास उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने पिछले साल नवंबर में पंजाब के गुरदासपुर जिले में किया था।
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