दोषी पाए गए लोगों को छह माह कैद या जुर्माना या दोनों की सजा मिल सकती है। दिल्ली पुलिस ने लोगों को जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाया हुआ है। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने सभी थाना प्रभारियों को आदेश दिया है कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का हर हाल में पालन हो।दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नॉन ग्रीन पटाखों पर प्रतिबंध के बाद से ही पुलिस एक्शन मोड में है। आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ मामले भी दर्ज होते रहते हैं। पुलिस लोगों से अपील कर रही है कि कहीं भी नॉन ग्रीन पटाखे जलाता या बेचता हुआ कोई दिखाई दे तो फौरन उसकी सूचना पुलिस को दें।
दीपावली से पूर्व हर साल पुलिस पटाखे बेचने के लिए अस्थायी लाइसेंस देती है। इस साल भी यह सिलसिला जारी है। मौजूदा समय में पुलिस के पास पूरी दिल्ली में 100 से अधिक लाइसेंस के लिए आवेदन आए हैं। इनमें से 15 लोगों को लाइसेंस दिया भी जा चुका है। बाकी आवेदनों की जांच चल रही है। औपचारिकताएं पूरी करने वालों को लाइसेंस दे दिया जाएगा।
कहां कितने लाइसेंस
- . बाहरी-उत्तरी जिला 8
- . रोहिणी जिला 3
- . दक्षिण पूर्व जिला 2
- . उत्तरी जिला 2
- दीपावली पर रात 8 से 10 बजे के बीच ही जलाए जाएंगे ग्रीन पटाखे।
- थानों के बाहर पोस्टर और बैनर लगाकर लोगों को ग्रीन पटाखों की दे रही सूचना।
- आरडब्ल्यूए और एमडब्ल्यूए के साथ बैठकें कर केवल ग्रीन पटाखे खरीदने, इस्तेमाल और बेचने का किया जा रहा अनुरोध।
- स्कूलों में जाकर बच्चों को पटाखों के कम से कम इस्तेमाल और ग्रीन पटाखों के बारे में दी जा रही जानकारी।
- जगह-जगह नुक्कड़ नाटक का आयोजन कर पटाखों से होने वाले प्रदूषण के बारे में दी जा रही जानकारी।
- एफएम पर भी लोगों से ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल का किया जा रहा अनुरोध।
30 से 50 प्रतिशत तक कम होता है प्रदूषण
ग्रीन पटाखे पारंपरिक पटाखों जैसे ही होते हैं। इनके जलने से प्रदूषण 30 से 50 प्रतिशत तक कम होता है। इससे आपकी दीपावली का मजा भी कम नहीं होगा, साथ ही ये पर्यावरण को भी कम नुकसान पहुंचाएंगे। ग्रीन पटाखे दिखने, जलने और आवाज में सामान्य पटाखों की तरह होते हैं। फिलहाल बाजार में तीन तरह के ग्रीन पटाखे हैं। एक जलने के साथ पानी पैदा करता है, जिससे सल्फर और नाइट्रोजन जैसी हानिकारक गैसें इन्हीं में घुल जाती हैं। इन्हें सेफ वाटर रिलीजर भी कहा जाता है।
दूसरी तरह के पटाखों को स्टार क्रैकर के नाम से जाना जाता है। यह सामान्य से कम सल्फर और नाइट्रोजन पैदा करते हैं। इनमें एल्यूमिनियम का इस्तेमाल कम से कम किया जाता है। तीसरी तरह के पटाखे अरोमा क्रैकर्स हैं, जो कम प्रदूषण के साथ-साथ खुशबू भी पैदा करते हैं।
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