नई दिल्ली। भारतीय इतिहास में 15 अक्टूबर का दिन बेहद खास है। भारत को मिसाइल और परमाणु शक्ति संपन्न बनाने वाले पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर एपीजी अब्दुल कलाम आज के ही दिन जन्मे थे। कलाम जितने महान वैज्ञानिक थे, उतने ही शांत व्यक्ति जिनके मन में भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का सपना लता था।
कलाम की अगुवाई में भले ही भारत में सबसे खतरनाक और घातक डिफेंस मिसाइलों का निर्माण हुआ हो, लेकिन वे हमेशा बेहद और सहज और सरल नेता के तौर पर दुनिया को नजर आए। कलाम का व्यक्तित्व पूरी दुनिया के लोगों के लिए प्रेरणास्पद रहा है। वे जितने अच्छे वैज्ञानिक थे, उतने ही अच्छे इंसान। दरअसल ये हुआ कि एक डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) में उनकी टीम बिल्डिंग की सुरक्षा को लेकर चर्चा कर रही थी। टीम ने सुझाव दिया कि बिल्डिंग की दीवार पर कांच के टुकड़े लगा देने चाहिए। लेकिन डॉ कलाम ने टीम के इस सुझाव को ठुकरा दिया और कहा कि अगर हम ऐसा करेंगे तो इस दीवार पर पक्षी नहीं बैठेंगे।
कैसा रहा कलाम का सफर?
1. साल 1962. कलाम पहली बार भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र(ISRO) पहुंचे। कलाम प्रोजेक्ट डायरेक्टर थे जब भारत ने अपना स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 बनाया। कलाम ने स्वदेशी गाइडेड मिसाइल को डिजाइन किया, जिसके चलते अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइलें भारतीय तकनीक बनीं।
2. सन 1992 से 1999 तक कलाम रक्षा मंत्री के रक्षा सलाहकार भी रहे। जब वाजपेयी सरकार ने पोखरण में दोबारा न्यूक्लियर टेस्ट किया तब कलाम ने बड़ी भूमिका निभाई।
3. कलाम की अगुवाई में जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल, टैंकभेदी मिसाइल और रिएंट्री एक्सपेरिमेंट लॉन्च वेहिकल (रेक्स) पर खूब काम हुआ. पृथ्वी, त्रिशूल, आकाश, नाग नाम के मिसाइलों का निर्माण हुआ।
ऐसे बने मिसाइल मैन
साल 1985, महीना सितंबर. त्रिशूल का परिक्षण। फरवरी 1988 में पृथ्वी और मई 1989 में अग्नि का परीक्षण किया गया। इसके बाद 1998 में रूस के साथ मिलकर भारत ने सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल बनाने पर काम शुरू किया और ब्रह्मोस प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की गई। ब्रह्मोस धरती, आसमान और समुद्र कहीं से भी प्रक्षेपित किया जा सकता है। इस सफलता के बाद कलाम को मिसाइल मैन की ख्याति मिली। कलाम को पद्म विभूषण से सम्मानित भी किया गया।
ये है कलाम की उपलब्धियां
एपीजे अब्दुल कलाम को 1981 में भारत सरकार ने पद्म भूषण और फिर, 1990 में पद्म विभूषण और 1997 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया।
इस्तीफा रखते थे साथ
डीआरडीओ के पूर्व चीफ ने दावा किया था कि ‘अग्नि’ मिसाइल के टेस्ट के समय कलाम काफी नर्वस थे। कलाम उन दिनों अपना इस्तीफा अपने साथ लिए घूमते थे। उनका कहना था कि अगर कुछ भी गलत हुआ तो वो इसकी जिम्मेदारी लेंगे और अपना पद छोड़ देंगे।
कैसे बने इतने महान?
एक बार कलाम किसी इवेंट पर गए। जब वे वहां बोलने लगे तो एक बच्ची मंच पर पहुंची और उनसे पूछा, ‘आप इतने महान कैसे बन गए।’ कलाम ने उसका सवाल दोहराया तो सभी हंसने लगे। फिर कलाम साहब ने बच्ची से पूछा, ‘तुम किस क्लास में पढ़ती हो’। बच्ची ने जवाब दिया कि चौथी क्लास में। कलाम ने पूछा कि तुम्हारा जीवन में क्या सपना है? कलाम ने जवाब दिया कि मैं सिंगर बनना चाहती हूं।इसके बाद ठहाकों का दौर शुरू हो गया। कलाम ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि वे इतने महान कैसे बने। ये सब रिलेटिव टॅर्म्स हैं। पर वो मानते हैं कि हर किसी का एक सपना जरूर होना चाहिए।
कलाम ने फिर बच्ची के साथ एक कुछ दोहराने को कहा, उन्होंने कहा कि हमारा एक सपना जरूर होना चाहिए। हमें लगातार सीखना चाहिए। हमें मेहनत करना चाहिए। हमें लगातार काम करना चाहिए और घबराना नहीं चाहिए। अंतिम में कलाम ने कहा कि अगर आप जिंदगी में इन बातों पर अमल करेंगे तो जीत पक्की है।
देश के सबसे लोकप्रिय राष्ट्रपति
कलाम ने के आर नारायणन के बाद राष्ट्रपति पद की कमान संभाली थी और वह 2002 से 2007 तक इस पद पर रहे। वे देश के सर्वाधिक लोकप्रिय राष्ट्रपति रहे। राष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनाव में उनका मुकाबला भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की क्रांतिकारी नेता लक्ष्मी सहगल के साथ था और वह इस एकपक्षीय मुकाबले में विजयी रहे। अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति पद के चुनाव में सभी राजनीतिक दलों का समर्थन हासिल हुआ था।
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