नई दिल्ली। 11-12 अक्टूबर को चेन्नई के पास स्थित ऐतिहासिक शहर महाबलीपुरम (ममल्लपुरम) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग अनौपचारिक वार्ता करने जा रहे हैं। इस दौरान तमाम द्विपक्षीय राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय, कूटनीतिक और प्रतिरक्षा संबंधी मसलों के अलावा दोनों नेताओं के बीच बिजेनस-इकोनॉमी के कई महत्वपूर्ण मसलों पर बात हो सकती है।
मंदिरों के शहर महाबलीपुरम में दोनों नेताओं के बीच दूसरा अनौपचारिक समिट होने जा रहा है। इसके पहले इसी तरह का समिट चीन के वुहान शहर में 27-28 अप्रैल, 2018 को हुआ था। खबरों के मुताबिक यहां मोदी और जिनपिंग के बीच करीब 5 घंटे की वार्ता के दौरान चार मीटिंग हो सकती है।इसकी शुरुआत 11 अक्टूबर को शाम 5 बजे होगी।
दोनों नेता बंगाल की खाड़ी के किनारे स्थित एक फाइव स्टार होटल में बात कर सकते हैं। भारत इस दौरान चीन के साथ होने वाले व्यापार घाटे को कम करने की बात कर सकता है। भारत अपने उत्पादों के निर्यात के लिए चीन में ज्यादा बाजार पहुंच की मांग कर सकता है। हालांकि, सरकार कह रही है कि यह वार्ता अनौपचारिक है, इसलिए इस दौरान किसी दस्तावेज या समझौते पर दस्तखत नहीं हो सकते और शायद कोई संयुक्त बयान भी जारी नहीं किया जाएगा।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि यह अनौपचारिक वार्ता मोदी और शी के लिए द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक महत्व के विषयों पर विचारों के आदान-प्रदान का अवसर प्रदान करेगी। इस दौरान राजनीतिक संबंध, व्यापार और आतंकवाद से जुड़े मसलों पर भी बातचीत हो सकती है।
दोनों नेताओं के बीच इस दौरान रीजनल कॉम्प्रीहेन्सिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट (RCEP) पर भी बातचीत हो सकती है। मुक्त व्यापार समझौते के लिए होने वाली RCEP की बातचीत में आसियान के 10 देशों के अलावा छह अन्य देश- भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं। हालांकि भारत के लिए यह जटिल मसला है, क्योंकि इसमें चीन भी शामिल है और देश में कई संस्थाएं इस समझौते का विरोध कर रही हैं।
गौरतलब है कि भारत-चीन के बीच मौजूदा व्यापार करीब 60 अरब डॉलर तक पहुंच गया है, लेकिन यह व्यापार चीन के पक्ष में है, इसलिए भारत को इसका घाटा उठाना पड़ता है। चीन फिलहाल वस्तुओं के मामले में भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है और भारत दक्षिण एशिया में चीन का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है। भारत में 1,000 से ज्यादा चीनी कंपनियां कारोबार करती हैं। चीन का दावा है कि भारत में चीनी कंपनियों ने 8 अरब डॉलर का निवेश किया है और यहां 2 लाख लोगों को रोजगार दिया है।
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