नई दिल्ली। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि दीपावली के मद्देनजर दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण की समस्या के गंभीर होने से पहले ही सरकार ने एहतियाती कदम उठाते हुए हवा की गुणवत्ता बेहतर बनाये रखने के लिए विशेष निगरानी दल गठित कर छापेमारी की कार्रवाई शुरु कर दी है।
जावड़ेकर ने हवा को साफ बनाने के लिए पिछले कुछ सालों से चल रहे प्रयासों और इनके प्रभाव की सोमवार को जानकारी देते हुये बताया कि विजयादशमी और दीपावली के पहले केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के 47 विशेष दल गठित किये गए हैं। ये दल दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण रोकने से जुड़े मानकों के पालन की निगरानी करते हुए औचक निरीक्षण करेंगे।
उन्होंने दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में हवा की गुणवत्ता में सुधार आने के पीछे पिछले पांच साले से किये जा रहे सतत उपायों को मुख्य वजह बताया। जावड़ेकर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2015 में वायु गुणवत्ता सूचकांक की शुरुआत कर इस पहल का आगाज किया था। इसके तहत दिल्ली में 113 वायु गुणवत्ता निगरानी केन्द्र कार्यरत हैं और 29 नये केन्द्र बनाये जा रहे हैं।
वायु गुणवत्ता की सतत निगरानी के साथ बीएस छह मानक ईंधन पर चलने वाले वाहनों की शुरुआत की गयी, पेरीफेरल रोड बनने के बाद अन्य राज्यों को जाने वाले भारी वाहनों का दिल्ली से गुजरना बंद हुआ और संशोधित मोटर वाहन कानून लागू होने के कारण दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार पार्टिकुलेट तत्वों की मात्रा में 80 प्रतिशत तक गिरावट दर्ज की गयी है।
जावड़ेकर ने कहा कि इन साझा प्रयासों का ही नतीजा है कि दिल्ली में बेहतर गुणवत्ता वाली हवा के दिनों की संख्या में इजाफा हुआ है। उन्होंने वायु सूचकांक के आंकड़ों के हवाले से कहा कि 2016 में अच्छी हवा वाले दिनों की संख्या 108 से बढ़कर 2018 में 159 हो गयी। इस साल सितबंर तक 270 दिनों में अच्छी हवा वाले दिनों की संख्या 160 हो गयी है। इसी प्रकार हवा की गुणवत्ता के लिहाज से बुरे दिनों की संख्या 2016 में 246 से घटकर पिछले साल 206 पर आ गयी, जो कि इस साल सितंबर तक 108 रह गयी है।
कचरा निस्तारण के उपायों का जिक्र करते हुये जावड़ेकर ने कहा कि दिल्ली में प्रतिदिन छह हजार टन कचरे से 50 मेगावाट बिजली बन रही है। उन्होंने दीपावली के त्यौहार में लोगों से पटाखों का उपयोग नहीं करने की अपील करते हुये कहा कि अगर प्रयोग करना ही पड़े तो लोग हरित पटाखे ही खरीदें। ये पटाखे सस्ती दर पर बिक्री के लिए बाजार में उपलब्ध हैं।
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