नई दिल्ली। सब्जियों और फलों को बेचने के लिए उनको जिन रंगों से रंगा जा रहा है, वह ट्यूमर से लेकर कैंसर तक दे सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह रंग और रसायन हमारे रक्त में रह जाते हैं। शरीर से बाहर नहीं निकलते। इसके कारण लिवर, किडनी और हृदय को भी गहरा नुकसान पहुंचता है।
एफएसडीए यानी खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन ने हाल ही में शहर की सभी सब्जी मंडियों में विक्रेताओं को इन हानिकारक रंगों और कीटनाशकों के दुष्प्रभाव की जानकारी दी। साथ ही दुबग्गा, हरदोई रोड, आशियाना एलडीए कॉलोनी, सीतापुर रोड, खुर्रम नगर, टेढ़ी पुलिया से सब्जियों के 37 नमूने लेकर भी जांच को भेजे हैं।
इस तरह नुकसान पहुंचाता है यह रसायन : सबसे ज्यादा हरे रंग की मिलावट होती है। यह मेलेकाइट ग्रीन नामक रसायन होता है। यह खून में जमा होता रहता है। एक सीमा के बाद यह कोशिकाओं को विकृत करने लगता है। इससे ट्यूमर और कैंसर हो सकता है। इसी तरह लाल रंग के लिए रोडामीन, पीले रंग के लिए ऑरामीन डाई का प्रयोग हो रहा है। तीनों रसायन लिवर, किडनी, हृदय के लिए हानिकारक हैं।
नतीजतन हृदय की गति अनियमित होने लगती है। किडनी – लिवर भी खराब होने लगते हैं। बचाव के लिए सब्जियों को क्लोरीन वाले पानी में ठीक से धोएं। इससे उसकी ऊपरी सतह पर जमा रंग काफी हद तक हट जाता है।
400 कुंतल भुना चना पकड़ा लेकिन मामला दब गया : कुछ समय पहले एफएसडीए की एक टीम ने राजधानी में खतरनाक रंग से रंगा हुआ भुना चना पकड़ा था। करीब 400 कुंतल चना मौके पर सीज कर दिया गया। इसके आगे कोई कार्रवाई नहीं हुई। मामला दब गया।
इस तरह पहचानें
चने को ऑरामीन डाई से रंगा जा रहा है। इसको पहचानने के लिए चने को पानी में डाल कर घंटे भर के लिए छोड़ दें। कुछ देर बात पानी पीला हो जाएगा। सब्जियों में हरे रंग की मिलावट जानने क लिए रूई को पानी या तेल में भिगोकर मिर्च, परवल या भिंडी के बाहरी हिस्से को रगड़ें। रूई का रंग हरा हो जाए तो समझ लीजिए डाई है।
हरी मटर को ब्लॉटिंग पेपर पर रखने पर कृत्रिम रंग दिखाई पड़ता है। इसके अलावा शीशे के गिलास में पानी भरकर आधे घंटे छोड़ दें तो रंग दिखाई दे जाएगा। परवल के डंठल वाले हिस्से पर जमा हुआ रंग भी साफ पहचाना जा सकता है।
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