गाज़ियाबाद। ट्रोनिका सिटी क्षेत्र के दुगरावली गांव में रहने वाले 91 वर्षीय दीवान सिंह के हालात आज भी जस के तस हैं। देश की तरक्की हो गई है, लेकिन दीवान सिंह मुफलिसी जिंदगी जीने को मजबूर है मुफलिसी उनके काम में आडे नहीं आ रही है। 75 साल की नौकरी और 91 वर्ष की उम्र के बाद भी काम के प्रति उनका जुनून फुर्ती देखने लायक है। ब्रिटिश शासन काल के दौरान 1944 में शुरू की गई चौकीदारी की नौकरी को वह आज भी उसी जज्बे और लगन के साथ कर रहे हैं। उन्हें बस इतनी सी तसल्ली जरूर है कि लोग उन्हें अंग्रेजों के जमाने के चौकीदार के रूप में जानते है।
वैसे दीवान सिंह आज भी पूरी तरह से खुद को फिट बताते हैं। दीवान सिंह ने बताया कि जब उन्होंने ब्रिटिश शासन काल में चौकीदार की नौकरी शुरू की थी। तब उन्हें मात्र सवा रुपया तनख्वाह मिला करती थी। अंग्रेजों ने उन्हें एक लाठी और बेल्ट दी थी। जिसे पहनकर में आज भी क्षेत्र का चौकीदार कहा करते हैं। दीवान सिंह की बेल्ट पर शाहदरा मेरठ लिखा है। वह बताते हैं कि उस वक्त उनका इलाका मेरठ जनपद में आता था। 75 साल की नौकरी करने के बाद अब दीवान सिंह को 25 सौ रूपये तनख्वाह में मिलती है। उनके परिवार के पालन पोषण के लिए नाकाफी है दीवान सिंह का कहना है उन्हें सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिली।
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