गाज़ियाबाद। क्षयरोग की जांच और उपचार की उन्नत पद्धति होने के बाद भी यह बीमारी जन-स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा है। यह चिंता का विषय है कि भारत के 20 प्रतिशत क्षयरोगी उत्तर प्रदेश में पाये जाते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए आधुनिक भारत के शिल्पी और स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति बेहद संवेदनशील भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा क्षयरोग को वर्ष 2025 तक भारत से समाप्त करने का संकल्प लिया गया है। उत्तर प्रदेश सरकार प्रधानमंत्री के संकल्प को साकार करने के लिए प्रतिबद्ध है।
प्रदेश सरकार प्रयासरत है कि आधुनिकतम विधियों के द्वारा प्रदेश के प्रत्येक क्षयरोगी को निःशुल्क और गुणवत्तायुक्त जांच और उपचार सुविधाएं प्रदान की जाएं। इसके लिए सरकार द्वारा विभिन्न स्तरों पर रणनीतिक परिवर्तन किया जा रहा है जिसके द्वारा स्वास्थ्य विभाग रोगियों के प्रति अधिक उत्तरदायी हो सके। वर्ष 2019 में टीबी नोटीफिकेशन कुल 323415 क्षय रोगी पंजीकृत किये गये जिसमें से सरकारी क्षेत्र में 218932 एवं निजी क्षेत्र में 104483 पंजीकृत क्षय रोगी निक्षय पोर्टल पर पंजीकृत किये गये।
प्रदेश के चार जनपद लखनऊ, आगरा, बदायूं एवं चन्दौली में पाइलेट प्रोजेक्ट के तौर पर 15 जुलाई 2019 से क्षय रोगियों के नमूनों को माइक्रोस्कोपिक सेन्टर से जनपद मुख्यालय तथा कल्चर एवं ड्रग्स सेन्सटिविटी हेतु प्रयोगशाला तक डाक विभाग द्वारा पहुंचाने की व्यवस्था की गयी है। पाइलेट स्टडी के अनुभव के आधार पर इस व्यवस्था को प्रदेश के समस्त जनपदों में विस्तारित किये जाने पर विचार जा रहा है।
वर्ष 2018-19 में निजी क्षेत्र के स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं द्वारा अनिवार्य टीवी नोटीफिकेशन को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा 01 अप्रैल 2018 से डायरेक्ट बेनीफिट ट्रान्सफर (डीबीटी) के माध्यम से उनके खाते में प्रति टी0वी0 मरीज के नोटीफिकेशन पर रू0 500 तथा मरीज का उपचार पूर्ण कराने पर रू0 500 का प्राविधान किया गया है जो दिया जा रहा है।
दिनांक 01.04.2018 से भारत सरकार द्वारा निक्षय पोषण योजना (न्यूट्रीशियन सपोर्ट) के अन्तर्गत पंजीकृत समस्त क्षय रोगियों को डी0बी0टी0 के माध्यम से रू0 500 प्रति माह की दर से दिनांक 10 सितम्बर 2019 तक कुल क्षय लाभार्थी 361621 कुल धनराशि रू0 74.14 करोड़ का भुगतान किया गया। प्रदेश के समस्त 75 जनपदों में 141 कार्टिज बेस्ड न्यूक्लिक एसिड एम्प्लीफिकेशन टेस्ट (सी0बी0नाॅट) मशीन स्थापित एवं क्रियाशील है जिससे एम0डी0आर0 टी0बी0 मात्र 2 घन्टे में जांच उपलब्ध हो जाती है। विगत त्रैमास में इनके द्वारा 108112 जांचें की गयी है।
प्रदेश में वर्तमान समय में लगभग 19000 ड्रग रजिस्टेन्ट क्षय रोगियों का उपचार किया जा रहा है। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय लखनऊ के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग में स्थापित नोडल डीआरटीबी सेन्टर में एक्सडीआर क्षय रोगियों हेतु बीडाक्यूलीन का शुभारम्भ किया जा चुका है। प्रतिष्ठित किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय लखनऊ के क्षय रोग इलीमिनेशन में महत्वपूर्ण भूमिका है।
इस चिकित्सा विश्वविद्यालय में सुदूर क्षेत्रों एवं निकटवर्ती राज्यों से रोगी उपचार हेतु आते हैं। समस्त क्षय रोगियों का नोटीफिकेशन एवं गुणवत्तापरक इलाज चिकित्सा विश्वविद्यालय द्वारा किया जा रहा है। हाल ही में भारत सरकार एवं गैर सरकारी संस्था ‘यूनियन’ के सहयोग से प्रदत्त 16 माडूल सी0बी0 नाॅट मशीन आईआरएल केजीएमयू लखनऊ में स्थापित की गयी है जो विश्वविद्यालय की सीबीनाॅट मशीन की जांच करने की क्षमता को चार गुना कर देगी। जिससे प्रदेश के क्षय रोगियों में ड्रग रजिस्टेन्ट रोगियों की पहचान कर उन्हें उचित इलाज देने में महत्वपूर्ण योगदान होगा।
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