आरोप है कि घटना को लेकर जब डॉक्टरों से सवाल जवाब किए गए तो उन्होंने कई तरह के हवाले देकर परिजनों और मरीज को ही कसूरवार ठहरा दिया। इस पर विजेंद्र गुप्ता भड़क उठे और उन्होंने अस्पताल प्रबंधन के तमाम अधिकारियों की लापरवाही को लेकर एलजी अनिल बैजल से शिकायत की। विजेंद्र गुप्ता का कहना है कि दोषी डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
गुप्ता ने बताया कि अस्पताल अधीक्षक व अन्य वरिष्ठ डॉक्टर पहले तो घटना से इंकार करते रहे, लेकिन जब उन्होंने परिजनों और गवाह सामने बुलाए तो डॉक्टर चुप हो गए। परिजनों ने बताया कि जांच किए बिना ही गर्भवती महिला को भर्ती करने से डॉक्टरों ने इंकार कर दिया। डॉक्टरों का कहना था कि रोहिणी के भीमराव आंबेडकर अस्पताल जाकर इलाज कराओ।
प्रसव पीड़ा से परेशान गर्भवती महिला थोड़ी देर बाद अस्पताल की पार्किंग में ही आराम करने लगी, तभी अचानक उसकी पीड़ा बढ़ गई। दर्द से तड़पता देख आसपास मौजूद महिला सुरक्षाकर्मी वहां पहुंचीं और उन्होंने महिला के आसपास एक पर्दा डाल दिया। प्रसव के बाद बुधवार रात करीब 1 बजे भारत नगर थाना पुलिस को परिजनों ने शिकायत दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने जब पीड़िता और उसके शिशु की हालत देखी तो तत्काल उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया।
हैरानी व्यक्त करते हुए विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि अस्पताल में बड़ी संख्या में बिस्तर खाड़ी पड़े थे, लेकिन फिर भी महिला को भर्ती नहीं किया गया। यहां तक कि मरीज से यह भी लिखवाने की कोशिश की गई कि यदि कुछ अनहोनी होती है तो उसके लिए वे स्वयं जिम्मेदार होगी।
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