मुंबई। 50 करोड़ के ड्रग रैकेट के मामले में महाराष्ट्र एटीएस की एंटी टेरेरिज्म स्क्वॉड ने एक डॉक्टर को पकड़ा है। यह डॉक्टर महाराष्ट्र के पनवेल में चल रही एक ड्रग्स फैक्ट्री के लिए काम करता था। नशीली दवाएं बनाने के पीछे इसी डॉक्टर का दिमाग था।
महाराष्ट्र एटीएस ने बीते 10 सितंबर को विशेष सूचना के आधार पर छापा मारकर ड्रग्स फैक्ट्री को सील किया था और वहां से 129 किलो नशीली दवा बरामद की थी। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत 50 करोड़ से अधिक आंकी गई। इस छापे में एटीएस ने फैक्ट्री मालिक जितेंद्र परमाथ और इस रैकेट से जुड़े 4 अन्य लोगों को गिरफ्तार किया था।
इस ड्रग रैकेट की जांच से जुड़े एक अधिकारी ने बताया, “गिरफ्तार हुए पांच लोगों से पूछताछ में पता चला था कि दवा बनाने काम वे लोग नहीं करते, बल्कि इसके पीछे एक कथित डॉक्टर है। वह कई तरह की नशीली दवाएं बनाने में एक्सपर्ट है।” उन्होंने बताया, यह डॉक्टर केमिस्ट्री में ग्रेजुएट है और वह नशीली दवाएं बनाना जानता है। डॉक्टर का नाम सरदार पाटिल है जो महाराष्ट्र के सांगली जिले का रहने वाला है।
ड्रग रैकेट के खुलासे के बाद वह सांगली भाग गया था जहां से उसे पकड़ा गया है। वह 2015 तक सांगली की ही ओंकार इंडस्ट्रीज नाम की एक केमिकल फैक्ट्री में काम करता था। इसी फैक्ट्री में उसने नशीली दवाएं बनाना सीखा। यह डॉक्टर साल 2015 तक जिस केमिकल फैक्ट्री में काम करता था, वह ट्रांसपोर्ट कंपनी चलाने वाले रवींद्र कोंडुस्कर नाम के व्यवसायी की है। पूरे प्रदेश में रवींद्र की बसें चलती हैं।
2015 में ही एक बस में नशीली दवा बरामद हुई थी, जिसके बाद रवींद्र को गिरफ्तार किया गया था।इसके बाद ओंकार इंडस्ट्रीज में छापा मारकर 355 किलो नशीली दवाएं बरामद की गई थीं। डॉक्टर ने रवींद्र की इस फैक्ट्री में ही नशीली दवा बनाना सीखा था। इस मामले में एटीएस ने दो ड्रग्स सप्लायर्स को भी गिरफ्तार किया है। उनके पास भी 4.9 किलो ड्रग्स बरामद हुई है।
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