नई दिल्ली। पूरे देश में केंद्र सरकार एक मेगा प्लान के तहत 199 नई जेल खोलने की तैयारी में है। दिनों दिन अपराध की बढ़ती घटनाएं और जेलों में कैदियों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी को देखते हुए सरकार ने इसकी योजना बनाई है। इस मद में सरकार 1800 करोड़ रुपये खर्च करेगी।
सरकार का मानना है कि जेलों के भीतर बढ़ती आपराधिक गतिविधियों के पीछे मुख्य कारण कैदियों की भीड़भाड़ है। इससे निपटने के लिए सरकार के पास नई जेल बनाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है।
इस बीच गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि सरकार ने जेलों को सुधार केंद्रों में बदलने और कैदियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की योजना भी बनाई है। ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (बीपीआर एंड डी) ने 12 और 13 सितंबर को जेलों में ‘आपराधिक गतिविधियों और कट्टरता’ पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया था। इस सम्मेलन का उद्घाटन केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने किया।
सम्मेलन में वी. एस. के. कौमुदी, महानिदेशक, बीपीआरएंडडी और तिहाड़ जेल के महानिदेशक संदीप गोयल सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। कौमुदी ने भारतीय जेलों के बारे में वास्तविकता बताई और कहा कि कर्मचारियों की कमी जेलों के प्रशासन को कैसे प्रभावित कर रही है।
सम्मेलन में मौजूद अधिकारियों में से एक ने नाम न छापने की शर्त पर, आईएएनएस को बताया, “कौमुदी ने भारतीय जेलों की वास्तविकता बताई और एक शोधपरक भाषण दिया। यहां तक कि मैं इस तरह बोलने के लिए साहस नहीं जुटा सका।” जेल मद पर खर्च होने वाले 1800 करोड़ रुपए में 1572 नई बैरक और जेल स्टाफ के लिए 8568 आवासीय परिसर बनेंगे
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