गाज़ियाबाद। “धार्मिक सदभावना एवं विश्व शांति केंद्र” ने बुधवार को एतिहासिक विश्व धर्म संसद का उद्घाटन किया गया । जिसमें देश विदेश के धर्म गुरुओं ने, दूतावासों के प्रतिनिधियों ने और गण मान्य व्यक्तियों ने भाग लिया। बता दें कि “धार्मिक सदभावना एवं विश्व शांति केंद्र” का गठन भारत के सर्वोच्च न्यायाधीश एम् एन वेंकटचलिहा ने 2001 में किया था। विश्व धर्म संसद का उद्घाटन करते हुए कृषि मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने कहा कि विकास और विश्वास के लिए धार्मिक सदभावना एक चिल्लाती हुई आवश्यकता है। उन्होंने आशा जताई की आज की विश्व धर्म संसद में मानवता के लिए आवश्यक प्रस्ताव पास किये जायेंगे। वहीं अहिंसा विश्व भारती के संस्थापक अध्यक्ष आचार्य लोकेश ने कहा कि अनेकता में एकता भारतीय संस्कृति की मौलिक विशेषता है । उन्होंने कहा पर्यावरण प्रदुषण से वैचारिक प्रदुषण अधिक खतरनाक है।
इस दौरान मौके पर अन्तराष्ट्रीय बुद्धिस्ट कान्फेडरेशन के अन्तराष्ट्रीय अध्यक्ष लामा लोबजेंग, पावन चिंतन धारा के संस्थापक गुरु पवन सिन्हा, जामा मस्जिद यूनाइटेड फोरम के अध्यक्ष याह्या बुखारी, गुरु ग्रन्थ साहेब वर्ल्ड वेलफेयर मिशन के अध्यक्ष सरदार सतनाम सिंह उप्पल,गरीब नवाज फाउंडेशन के चेयरमैन मौलाना रजा अंसार, केलिफोर्निया के फिल्म प्रोडूसर के वालिया, भारत में बहाई समुदाय के राष्ट्रीय ट्रस्टी डॉक्टर ए के मरचेंट, अखिल भारतीय संत परिषद् के राष्ट्रीय संयोजक यति नरसिंघा नन्द सरस्वती सहित 200 से अधिक देश विदेश के धरम गुरुओं और दूतावासों के प्रतिनिधियों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया। इस दौरान उन्होंने भारत सरकार से यह मांग की कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में एक विश्व धर्म संसद का निर्माण किया जाये।
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