नई दिल्ली। नए मोटर व्हीकल एक्ट लागू होने के बाद गुजरात ऐसा पहला राज्य बन गया है, जिसने नया कानून लागू करने के साथ ही भारी जुर्माने से वाहन चालकों को राहत प्रदान की है। गुजरात ने नए मोटर व्हीकल एक्ट के जुर्माने की राशि को 50 फीसद तक कम कर दिया है। इसके बाद नौ अन्य राज्य भी इसी तर्ज पर वाहन चालकों को भारी जुर्माने से बड़ी राहत प्रदान कर सकते हैं। इनमें से छह राज्य ऐसे हैं, जहां अभी नया मोटर व्हीकल एक्ट लागू नहीं किया गया है। इसके अलावा तीन केंद्र शासित राज्य ऐसे हैं, जहां नए मोटर वाहन अधिनियम को लेकर ऊहापोह की स्थिति है।
एक सितंबर से केंद्र सरकार द्वारा पूरे देश में नया मोटर व्हीकल एक्ट लागू कर दिया गया है। केंद्र सरकार द्वारा तैयार संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट में भारी जुर्माने का प्रावधान किया गया है। पहले के मुकाबले, संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट में कई गुना ज्यादा जुर्माने का प्रावधान है। नया मोटर व्हीकल एक्ट लागू करने के साथ ही केंद्र सरकार ने राज्यों के परिवहन विभाग को छूट दे रखी है कि वह राज्य सरकार की अनुशंसा पर संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट को लागू करने या न करने अथवा इसमें जुर्माने के प्रावधानों पर फैसला ले सकते हैं।
छह राज्यों ने एक सितंबर से देश भर में लागू किए गए संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट को अपने यहां लागू नहीं किया है। इसके पीछे इन राज्यों के अपने तर्क है। सबसे सामान्य तर्क, नए मोटर व्हीकल एक्ट के भारी जुर्माने का विरोध है। मतलब इन छह राज्यों के वाहन चालकों से यातायात नियमों का उल्लंघन करने पर अब भी पुराना जुर्माना ही वसूला जा रहा है। ये छह राज्य हैं, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, पंजाब और हिमाचल प्रदेश। इसके अलावा तीन केंद्र शासित राज्यों जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और दिल्ली में नए मोटर व्हीकल एक्ट को लेकर ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है।
जिन छह राज्यों ने अभी नया मोटर व्हीकल एक्ट लागू नहीं किया है, उनका तर्क है कि इसमें जुर्माने की राशि बहुत ज्यादा है। मध्य प्रदेश, राजस्थान व छत्तीसगढ़ समेत ये सभी राज्य कह चुके हैं कि वह अन्य राज्यों में नए मोटर व्हीकल एक्ट के प्रभावों का अध्ययन करने के बाद ही इस कानून को अपने यहां लागू करेंगे। ऐसे में बहुत संभव है कि ये राज्य भी गुजरात की तर्ज पर कम जुर्माने के साथ अपने यहां नया मोटर व्हीकल एक्ट लागू कर सकते हैं। मालूम हो कि तमाम राजनीतिक दल नए मोटर व्हीकल एक्ट के भारी जुर्माने पर लगातार आपत्ति जता रहे हैं। अगर इन नौ राज्यों ने अपने यहां जुर्माने की राशि घटाई तो अन्य राज्यों पर भी जुर्माने की राशि घटाने का दबाव बढ़ जाएगा।
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