बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने आज लखनऊ में कहा कि कानून हाथ में लेकर अराजकता, हिंसा व तनाव फैलाने के साथ-साथ भीड़ द्वारा हत्या आदि की बढ़ती घटनाओं को रोक पाने में सरकार की नाकामी ने देश और दुनिया का ध्यान खींचा है और ऐसे में पार्टी के कार्यकर्ताओं और समर्थकों को बहुत सजग रहने की ज़रूरत है। मायावती यहां प्रदेश इकाई की बैठक में पार्टी के कार्यकलापों की समीक्षा की।
बैठक के बाद जारी एक बयान के अनुसार “देश व ख़ासकर उत्तर प्रदेश के राजनीतिक माहौल व उदासीन सरकारी कार्यकलापों का संज्ञान लेते हुए मायावती ने कहा कि कानून को हाथ में लेकर अराजकता, हिंसा व तनाव फैलाने के साथ-साथ भीड़ हिंसा में हत्या आदि की बढ़ती हुई घटनाओं को रोक पाने में सरकारी नाकामी ने देश व दुनिया का ध्यान खींचा है। ऐसे में बसपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों को बहुत सावधान रहने की ज़रूरत है। वे लोग कोई भी ऐसा काम नहीं करें जिससे सरकार को जातिवादी द्वेष व राजनीतिक बदले की भावना से कार्रवाई करने का कोई मौका मिले।”
समाचार एजेंसी भाषा के अनुसार, उन्होंने कहा कि “ख़ासकर मॉब लिंचिंग, जातिवादी जुल्म-ज्यादती, महिला उत्पीड़न व असुरक्षा की बढ़ती घटनाओं ने प्रदेश, देश व समाज को काफी चिन्तित व परेशान कर रखा है। इसके शिकार सर्वसमाज के लोगों को मदद स्थानीय स्तर पर कानूनी दायरे में ही करने का भरपूर प्रयास करते रहना चाहिए तो बेहतर है। इस सम्बन्ध में विशेषकर धारा 144 की सरकारी पाबन्दियों का उल्लंघन बिल्कुल नहीं करना है। ऐसा करके सरकारी मंसूबों व षडयंत्रों को विफल किया जा सकता है।”
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में अपराध-नियंत्रण व कानून-व्यवस्था की हालत काफी ज़्यादा ख़राब है तथा बढ़ती ग़रीबी व बेरोज़गारी आदि की समस्या और ज्यादा विकट होकर अनेक प्रकार के अपराधों को बढ़ाने का कारण बन रही है और ऐसे में अपनी विफलताओं पर से लोगों का ध्यान बांटने के लिए सरकार हर प्रकार का हथकण्डा इस्तेमाल कर सकती है।
मायावती ने कहा, “जहाँ तक देश की अर्थव्यवस्था की दुर्दशा की बात है वह आजकल कुछ ज़्यादा चर्चा में है क्योंकि यह चरमराकर काफी बुरे दौर से गुजर रही है, जिस कारण बेरोज़गारी हर स्तर पर लगातार बढ़ती जा रही है, यह सरकार के लिए बड़ी चिन्ता की बात होनी चाहिए। कहीं यह सब नोटबंदी व जीएसटी को आपाधापी में लागू करने का कुप्रभाव तो नहीं है? वैसे भी देश में फैली व्यापक ग़रीबी व बेरोजगारी की समस्या को दूर करना केन्द्र व राज्य सरकारों की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।”
उन्होंने कहा कि “इसके अलावा दलित, आदिवासी व पिछड़े वर्ग के लोग आरक्षण के सही ढंग से लागू नहीं होने के कारण काफी उद्वेलित हैं जबकि सरकारी क्षेत्र में लाखों आरक्षित पद खाली पड़े हुए हैं। इतना ही नहीं बल्कि इन उपेक्षित वर्गों के आरक्षण के संवैधानिक व्यवस्था की समीक्षा की तलवार भी हर वक्त लटकाए रखा है जो अति-दुर्भाग्यपूर्ण है। इस सम्बंध में बसपा की माँग है कि आरक्षण की समतामूलक मानवतावादी व्यवस्था को संविधान की नौंवी अनुसूची में शामिल किया जाए।”
एससी, एसटी और ओबीसी वर्गों के लाखों छात्रों को वजीफा समय पर नहीं उपलब्ध होने के सम्बन्ध में राज्य भर से मिलने वाली शिकायतों के सम्बंध में सरकार को सचेत करते हुए उन्होंने कहा कि इस प्रकार के जातिवादी द्वेष से इन उपेक्षित वर्गों के छात्र/छात्राओं का शैक्षणिक जीवन प्रभावित हो रहा है, इस पर सरकार को तुरन्त ध्यान देने की जरूरत है। मायावती ने कहा कि देश व ख़ासकर यूपी में जो बिगड़े हालात हैं, उससे ऐसा लगता है कि सत्ताधारी भाजपा व उसकी सरकार भी वही सब ग़लतियाँ कर रही हैं जो पहले कांग्रेस पार्टी की सरकारों में हुआ करता था और जिनसे त्रस्त होकर जनता ने उन्हें नकारा व उन्हें सत्ता गंवानी पड़ी।
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