गाज़ियाबाद की गिनती देश के सबसे प्रदूषित औद्योगिक जिलों में होती है। प्रदूषण नियंत्रण को लेगार राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) में अनेकों याचिकाएं दाखिल है। ऐसी ही एक याचिका में सुनवाई के बाद एनजीटी ने गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) से शहर में डीजल से चलने वाले जनरेटरों के कारण वायु एवं ध्वनि प्रदूषण फैलने का आरोप लगाने वाली एक याचिका पर रिपोर्ट मांगी है।
एनजीटी के प्रमुख न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली एक बैंच ने एक रिटायर्ड जस्टिस एवं अन्य की याचिका पर हाल ही में सुनवाई करते हुए जीडीए और यूपीपीसीबी के सदस्यों की एक समिति गठित की और उससे संबंधित विषय पर रिपोर्ट मांगी।
बैंच ने कहा, “आरोप की जांच के मद्देनजर, गाजियाबाद विकास प्राधिकरण और उत्तर प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से तथ्यात्मक और कार्रवाई रिपोर्ट प्राप्त करना उचित कदम होगा। अनुपालन एवं समन्वयन के लिए प्रमुख एजेंसी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड रहेगी। यह रिपोर्ट इस अधिकरण को ई-मेल के जरिए एक महीने के भीतर सौंपनी होगी।”
एनजीटी जस्टिस (रिटायर्ड) ए.के. रूपनवाल एवं अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें आरोप लगाया गया है कि प्रीसिडियम स्कूल और इंदिरापुरम हैबिटेट सेंटर डीजल जनरेटर का इस्तेमाल करते हैं। जनरेटर से इंदिरापुरम में वायु एवं ध्वनि प्रदूषण फैल रहा है। यह वायु (प्रदूषण रोकथाम एवं नियंत्रण) कानून, 1981 का उल्लंघन है।
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