गाजियाबाद जिले में विकलांगता प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करने वाला हर चौथा आदमी फर्जी तरीके से दिव्यांग बनकर इससे होने वाले फायदे उठाना चाहता है। इस फर्जीवाड़े का खुलासा इसी साल अप्रैल माह से लेकर जून माह तक की जारी हुई रिपोर्ट में हुआ है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल माह से लेकर जून माह तक 495 ऐसे दिव्यांगजन थे, जिनका अस्पताल स्तर पर तो विकलांग प्रमाण पत्र बन गया था लेकिन जब उन्होंने विशिष्ट विकलांगता पहचान पत्र (यूडीआईडी) के लिए ऑनलाइन आवेदन किया तो जांच में उनके सभी अभिलेख गलत मिले। इनके आवेदन को स्वास्थ्य विभाग की ओर से निरस्त कर दिया गया है।
जिला दिव्यांगजन सशक्तिकरण अधिकारी रजनीश ने बताया कि दिव्यांगों को पूरे देश में एक ही पहचान दिलाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से विशिष्ट विकलांगता पहचान पत्र (यूडीआईडी) व्यवस्था की गई है। इसके तहत विकलांग प्रमाण पत्र बनने के बाद दिव्यांगों को विशिष्ट विकलांगता पहचान पत्र (यूडीआईडी) के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा। यह पहचान पत्र होने से दिव्यांगजन सरकार से मिल रही सभी सुविधाओं और रियायतों का लाभ प्रदेश के बाहर भी उठा सकते हैं।
इस व्यवस्था से पहले दिव्यांगजनों को प्रदेश के बाहर जाने पर मुफ्त यात्रा और अन्य रियायत का लाभ नहीं मिल पाता था और नौकरी के लिए आवेदन करने पर भी कई बार समस्या उन्हें होती थी। इस व्यवस्था के तहत गाजियाबाद में 3,537 दिव्यांगों ने इस साल अप्रैल माह से लेकर जून माह तक यूडीआईडी के लिए आवेदन किया था। जिसमें से मात्र 1,163 ही दिव्यांगों के सारे अभिलेख जांच में सही मिले। इनको यूडीआईडी स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी कर दी गई है। वहीं 495 दिव्यांगजनों के अभिलेख पूरी तरह से गलत मिले। इनकी यूडीआईडी निरस्त कर दी गई है।
जनपद में हर सोमवार को संजयनगर स्थित संयुक्त जिला अस्पताल में दिव्यांगों के लिए विकलांग प्रमाण पत्र बनाया जाता है। हर सोमवार को करीब 50 से अधिक विकलांग प्रमाण पत्र स्वास्थ्य विभाग की ओर से दिव्यांगों को जारी किए जाते हैं। कई बार फर्जी विकलांग प्रमाण पत्र जारी करने के भी कई मामले सामने आए हैं। एक अगस्त को सीडीओ रमेश रंजन ने स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा बैठक बुलाई थी, जिसमें आंकड़ों की जांच के बाद यह हकीकत सामने आई है। इस पर सीडीओ ने सुधार करने के भी निर्देश स्वास्थ्य विभाग को दिए हैं।
दिव्यांगजनों को अपनी पहचान साबित करने और सरकारी योजनाओं का लाभ पाने के लिए अलग-अलग दस्तावेज लगाने की कोई जरूरत नहीं होती है। यूडीआईडी कार्ड से ही विकलांगता की पहचान साबित होगी। यूडीआईडी के लिए विकलांग प्रमाण पत्र बनने के बाद आवेदन किया जाता है।
नोडल ऑफिसर डीएम सक्सेना के अनुसार गाजियाबाद के दिव्यांग विकलांग प्रमाण पत्र बनने के बाद जब यूडीआईडी के लिए आवेदन करते हैं तो हमारे पोर्टल पर ही उनका आवेदन आता है। जांच के बाद भी यूडीआईडी जारी की जाती है। ऐसे में 495 के अभिलेख गलत मिले थे, जिनको निरस्त किया गया है।
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