श्रावण मास की शुक्ल पक्ष कि पंचमी तिथि को नागपंचमी धूमधाम से मनाई जाती है। इस दिन नाग देवता की विधि-विधान से पूजा कर उन्हें पंचामृत, घृत, कमल, दूध, लावा अर्पित किया जाता है। मेरठ रोड स्थित श्री सिद्ध पीठ हनुमान मंदिर के पुजारी आचार्य राजेश कुमार पाण्डेय के अनुसार इस बार श्रावण मास की पंचमी तिथि 4 अगस्त की शाम करीब 06:50 से 05 अगस्त की दोपहर 03:55 तक रहेगी। इस तिथि पर विधि-विधान से पूजन-अर्चना करने और कालसर्प योग की शांति के लिए तरह-तरह के उपाय आजमाए जाते रहे हैं। सावन सोमवार ओर नागपंचमी के संयोग को संजीवनी महायोग कहा जाता है। लगभग 20 साल बाद बना यह महायोग, इसके बाद वर्ष 2023 में बनेगा।
हमारा गाजियाबाद को आचार्य ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र में राहू-केतु जनित या जिनकी कुण्डली में राहू-केतु की महादशा, अंतर्दशा, प्रत्यंतर दशा अनिष्ट हो, उन लोगों को इस दिन सर्प पूजन अवश्य करना चाहिए। कालसर्प योग सैदव अशुभ नहीं होता, इसलिए जिनकी कुण्डली में कालसर्प योग हो, ऐसे जातक शुभता बढ़ाने या अशुभता के शमन के लिए कालसर्प योग की शांति कराएँ, तो निश्चित रूप से लाभ होता है।
सनातन धर्म की अद्भुत परम्पराओं में रचे-बसे देश भारत में श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को नागपंचमी पर्व मनाने की धार्मिक परम्परा रही है। काल रूपी चंचल विषधारी नाग सृष्टि के प्रारम्भ से ही मानव के लिए भय का कारण रहे हैं। इस भय पर विजय पाने के लिए मूलरुप से नागपूजा का प्रारंभ हुआ। पौराणिक दृष्टि से नागपूजा का संबंध महाभारत काल से माना जाता है।