गाज़ियाबाद के प्रमुख सरकारी अस्पताल, एमएमजी अस्पताल की बिल्डिंग अब उपयोग के लायक नहीं है। पीडब्ल्यूडी ने निरीक्षण के बाद अस्पताल को निष्प्रयोज्य (प्रयोग में नहीं लाने लायक) घोषित कर दिया गया है। इसकी रिपोर्ट भी अस्पताल प्रबंधन को सौंप दी गई है। अब अस्पताल प्रबंधन जल्द ही शासन को रिपोर्ट भेजकर अस्पताल भवन के दोबारा निर्माण की मांग करेगा। पांच दशक से अधिक पुराने एमएमजी अस्पताल जर्जर हालत में है। अस्पताल व उसके परिसर में बने टीबी वार्ड, संक्रामक रोग विभाग की छतों का हिस्सा जर्जर होकर नीचे गिर रहा है। जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।
एमएमजी अस्पताल को निष्प्रयोज्य घोषित करने के लिए दो साल पूर्व भी कवायद शुरू की गई थी, उस दौरान भी पीडब्ल्यूडी विभाग की रिपोर्ट को अस्पताल प्रबंधन द्वारा शासन भेजा गया था, लेकिन कागजों में कमी के चलते शासन स्तर से आगे की प्रक्रिया नहीं बढ़ सकी। अब दोबारा अस्पताल प्रबंधन ने अस्पताल के दोबारा निर्माण को लेकर पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों से वार्ता की गई, जिसके बाद पीडब्ल्यूडी ने बुधवार को एमएमजी अस्पताल का निरीक्षण किया। इसके बाद पीडब्ल्यूडी ने रिपोर्ट लगाते हुए इसे निष्प्रयोज्य घोषित कर दिया गया है। अस्पताल के सीएमएस डा. रविन्द्र राणा ने बताया कि पीडब्ल्यूडी ने रिपोर्ट में कहा कि अधिकांश भवनों की छतें आरबी की है। भवनों में भूकंप रोधी प्रावधान नहीं है।
भवनों में कई स्थानों पर छतों का प्लास्टर कमजोर होकर गिर रहा है। तथा सरियों में जंग लगा दिखाई दे रहा है। भवन में वर्तमान में मरीजों, तिमारदारों एवं स्टॉफ द्वारा उपयोग किया जा रहा है। कुछ स्थानों पर अस्पताल प्रशासन द्वारा फाल्स सीलिंग तथा रिपेयर करके भवन को उपयोग लायक बनाने का प्रयास किया जा रहा है। उक्त भवनों की डिपरेक्सन वेल्यू एवं स्के्रप वेल्यू की गणना निर्धारित कर निष्प्रयोज्य घोषित कर इसकी ध्वस्तीकरण की संस्तुति करता है। अब जल्द ही शासन को रिपोर्ट भेजते हुए इसके दोबारा निर्माण की मांग की जाएगी।
बता दें कि 160 बेड के अस्पताल को संचालित हुए पांच दशक से अधिक का समय हो गया है। अस्पताल में दर्जनों मरीज भर्ती हैं, चार ऑपरेशन थियेटर और एक पैथॉलोजी लैब संचालित हो रही है।
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