राम जन्मभूमि मामला – मध्यस्ता समिति ने सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट, कल होगी सुनवाई

अयोध्या जमीन विवाद पर गठित की गई मध्यस्थता समिति ने अपनी रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ इस रिपोर्ट पर शुक्रवार दोपहर 2 बजे सुनवाई करेगी। रिपोर्ट देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट ये तय करेगी कि मुख्य मामले की सुनवाई कब से की जाए। गौरतलब है कि अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार राम मंदिर जमीन विवाद के समाधान के लिए मध्यस्थता समिति का गठन मार्च में किया गया था। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट पूरी कर ली है।

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने 11 जुलाई को इस मध्यस्थता समिति से इस मामले में रिपोर्ट मांगी गई थी। विवादित जमीन के सभी पक्षकारों ने दिल्ली स्थित उत्तर प्रदेश सदन में सोमवार को इस मुद्दे पर अपनी आखिरी बैठक की थी।

2 अगस्त को होगी इस मामले की अगली सुनवाई
आपको बता दें कि मध्यस्थता समिति ने अपनी प्रगति के बारे में सुप्रीम कोर्ट में आखिरी रिपोर्ट 18 जुलाई को जमा की थी। जिसपर मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा था कि मध्यस्थता समिति की रिपोर्ट गोपनीय है इसलिए इसे अभी रिकॉर्ड में नहीं लिया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि समिति जल्दी से अपनी फाइनल रिपोर्ट सौंपे। रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद मुख्य न्यायाधीश इस मामले में 2 अगस्त को सुनवाई करेंगे, जो पहले 3 अगस्त को की जानी थी।

मध्यस्थता में खास प्रगति न होने पर किया था एक पक्षकार ने आवेदन
ध्यान देने वाली बात यह भी है कि एक हिंदू पक्षकार ने बीती 9 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में जल्दी-जल्दी सुनवाई की गुजारिश की थी। उसने बाकायदा इसके लिए आवेदन दायर किया था। यह पक्षकार गोपाल सिंह विशारद की ओर से अदालत में कहा गया था कि मध्यस्थता के मामले में कोई खास प्रगति नहीं देखी गई है। इसलिए जल्द सुनवाई के लिए तारीख लगाई जाए। जिसके बाद न्यायालय ने आवेदन पर विचार के लिए भी कहा था।
पक्षकार गोपाल सिंह विशारद की ओर से पेश वरिष्ठ वकील पीएस नरसिम्हा ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ के सामने इस मामले का उल्लेख करते हुए कहा है कि मध्यस्थता प्रक्रिया के पहले चरण में खास प्रगति नहीं हुई है। ऐसे में वे चाहते हैं कि मामले का निपटारा करने के लिए तारीखें डाली जाएं। इस मामले में पीठ ने उनसे इसके लिए आवेदन दाखिल करने को कहा था।

मार्च में बनी थी मध्यस्था समिति
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मार्च में बनी इस मध्यस्थता समिति में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज एफएमआई कलीफुल्ला, आध्यात्मिक गुरु और आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ अधिवक्ता श्री राम पांचू का नाम शामिल है। 8 मार्च को कोर्ट ने कहा था कि मध्यस्थता प्रक्रिया एक सप्ताह के भीतर शुरू होगी। समिति चार सप्ताह के भीतर प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। कोर्ट ने समिति को इन-कैमरा प्रॉसिडिंग और उसे आठ सप्ताह के भीतर पूरा करने के लिए कहा था। संवैधानिक पीठ ने कहा था कि विवाद के संभावित समाधान के लिए मध्यस्थता के संदर्भ में कोई ‘कानूनी बाधा’ नहीं है।

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