केंद्रीय कैबिनेट ने सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या 31 से बढ़ाकर 34 करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। हाल ही में चीफ जस्टिस ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर SC में जजों की संख्या बढ़ाने की मांग की थी। 2009 में SC में जजों की संख्या 26 से बढ़ाकर 31 की गई थी।
लंब समय बाद चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के कार्यकाल में जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस एएस बोपन्ना के पद ग्रहण करने के बाद सुप्रीम कोर्ट मे 31 जजों की पूर्ण क्षमता हो गई थी। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस भूषण रामक्रष्ण गंवई और जस्टिस सूर्यकांत को सुप्रीम कोर्ट प्रोन्नत करने की सिफारिश की थी।
जस्टिस गवई बॉम्बे हाईकोर्ट के जज हैं जबकि जस्टिस सूर्यकांत हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस हैं। उधर, दो हाईकोर्ट के दो चीफ जस्टिस की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति की कॉलेजियम की सिफारिश को केंद्र सरकार से मंजूरी नहीं मिलने के बाद कॉलेजियम ने फिर से सरकार को इस पर विचार करने को कहा था।
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस अनिरुद्धबोस और गुवाहाटी हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ए.एस बोपन्ना के प्रमोशन की सिफारिश की थी, लेकिन सरकार ने उनके नामों को वापस लौटा दिया था। केंद्र सरकार ने वरिष्ठता क्रम और क्षेत्र के मुताबिक प्रतिनिधित्व को कारण बताते हुए इन सिफारिशों को खारिज किया था।
कॉलेजियम की ओर से भेजे गए दोनों नामों में से जस्टिस बोस हाई कोर्ट कलकत्ता उच्च न्यायालय है और वह जजों की सीनियॉरिटी के मामले में पूरे भारत में 12 वें नंबर पर हैं, जबकि जस्टिस बोपन्ना का पैरंट कोर्ट कर्नाटक उच्च न्यायालय है, भारत में 36वें स्थान पर आते हैं।
इससे पहले सरकार ने पिछले साल भी बोस का नाम कलीजियम को वापस कर दिया था, जब उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस बनाए जाने की सिफारिश की गई थी। कॉलेजियम ने दोनों जजों के नामों का प्रस्ताव देते हुए लिखा था कि जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस ए.एस बोपन्ना के नामों कीसिफारिश करते हुए कलीजियम ने मेरिट के साथ ही ऑल इंडिया लेवल पर जजों की सीनियॉरिटी का भी ख्याल रखा है। कॉलेजियम ने अपने प्रस्ताव में लिखा था कि कॉलेजियम ने इस बात को भी अपने प्रस्ताव में ध्यान रखा है कि देश के सभी उच्च न्यायालयों का सुप्रीम कोर्ट में प्रतिनिधित्व हो सके।
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