मंदिर में भगवान को चढ़ाए जाने वाले दूध और फूल-पत्तियों का इस्तेमाल हरियाली बढ़ाने में हो रहा है। शिप्रा सनसिटी मंदिर ट्रस्ट के मंदिर में अर्पित होने वालीं इन चीजों का इस्तेमाल कर खाद और बायोगैस बनाई जा रही है। यहां करीब डेढ़ लाख रुपये की लागत की मशीन से यह काम किया जा रहा है। यहां तैयार खाद का इस्तेमाल पेड़-पौधों में डालने के लिए किया जा रहा है, वहीं बायोगैस से खाना पकाया जा रहा है।
सोमवार को भी यहां 10 किलो खाद तैयार की गई। पदाधिकारी संजय सिंह ने बताया कि मंदिर परिसर में पीछे की तरफ 10 फीट का टैंक बनाया गया। इसे अंडरग्राउंड पाइपलाइन से मूर्तिस्थल से जोड़ा गया है।
20 से 25 किलो खाद तैयार
संजय सिंह ने बताया कि टैंक के पास ही एक मोटर लगाई गई है, जो पाइपलाइन के जरिए टैंक से दूध खींचकर यहां से करीब 200 मीटर दूर रखी मशीन में डालती है। इस बीच फूल और पत्तियों को छोटे-छोटे हिस्सों में लेकर मशीन में डाला जाता है। इस तरीके से करीब दो महीने में 20 से 25 किलो खाद तैयार हो जाती है। वहीं, शिवलिंग पर चढ़ने वाले पानी को पौधों तक पहुंचाने की व्यवस्था भी की गई है। वहीं, मशीन से बनने वाली बायोगैस का इस्तेमाल कर मंदिर के पुजारी और पदाधिकारी खाना पकाते हैं।
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