आईपी को वीआईपी कहने वाले ईएसआईसी अस्पताल मरीजों के इलाज को लेकर कितने गंभीर हैं, यह जग जाहिर है। डिस्पेंसरियों में दवाओं की कमी कोई नई बात नहीं है। लेकिन हाल ही में एक ऐसा मामला देखने में आया जिसमें मरीज को अस्पताल द्वारा 1 साल 3 महीने के बाद की तारीख दे दी गई।
वहीं, मरीजों से पूछने पर पता चला कि ऐसा कोई पहली बार नहीं हुआ है। ईएसआईसी अस्पताल साहिबाबाद से रेफर होकर नोएडा तथा झिलमिल ईएसआईसी अस्पताल जाने वाले अधिकांश मरीजों के साथ अस्पताल द्वारा ऐसा ही बर्ताव किया जाता है। बता दें कि, हाल ही में ईएसआईसी अस्पताल साहिबाबाद से रेफर मरीज साजिदा खातून 23 जुलाई को नोएडा ईएसआईसी अस्पताल द्वारा 3 नवंबर 2020 की तारीख दी गई है। जिसके चलते मरीज व उसके परिजन काफी परेशान हैं।
गाज़ियाबाद इंडस्ट्रीज फेडरेशन के महासचिव अनिल गुप्ता का कहना है कि ईएसआईसी अस्पताल काफी समय बाद की तारीख देने की वजह से आईपी लम्बे समय तक चिकित्सारत रहते हैं। जिससे मरीजों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने के साथ ही उनकी कार्य क्षमता में भी कमी आती है। जबकि ईएसआईसी अस्पताल अपने पैनल के निजी अस्पतालों में मरीजों को रेफर कर इस समस्या से आसानी से निजात दिला सकता है।
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