राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने गाज़ियाबाद के हज हाउस की सील को खोलने का आदेश दिया है। हज हाउस समिति की ओर से दाखिल याचिका पर मंगलवार को एनजीटी ने सुनवाई करते हुए डीसीलिंग का आदेश दिया, साथ ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को तीन सप्ताह बाद हज हाउस परिसर में लगाए गए एसटीपी का निरीक्षण कर रिपोर्ट देने का आदेश दिया है।
वर्ष 2016 में एनजीटी ने हिमांशु मित्तल की याचिका पर सुनवाई करते हुए बिना एसटीपी जीटी रोड स्थित हज हाउस को सील करने का आदेश दिया था। वर्ष 2016 में बिना एसटीपी हज हाउस खोलने पर एनजीटी ने पाबंदी लगा दी थी। बीते साल 6 फरवरी को एनजीटी ने आदेश दिया कि हज हाउस में 136 के एलडी क्षमता का एसटीपी लगाया जाए और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अपनी रिपोर्ट दाखिल करे। इसके बाद इस साल 11 जून को हज कमेटी ऑफ इंडिया के सदस्य मो. इरफान अहमद ने हज हाउस का दौरा किया था। उन्होंने एसटीपी लगाने के तमाम दिशा निर्देश दिए थे। इसके बाद हज हाउस में एसटीपी लगाया गया। एसटीपी लगाने के आदेश का पालन करने के बाद एनजीटी में हज हाउस को खोलने की मांग की गई थी।
अधिवक्ता रोहित पांडे ने बताया कि मंगलवार को कोर्ट संख्या एक ने हज हाउस की डीसीलिंग का आदेश दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को आदेश दिया है कि तीन सप्ताह बाद एसटीपी का निरीक्षण किया जाए फिर एसटीपी संचालन की एनओसी जारी कर उसका संचालन कराया जाए।
बता दें, 30 मार्च 2005 को मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने गाज़ियाबाद के हज हाउस का शिलान्यास किया था। इसके बाद 5 सितंबर 2016 को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उदघाटन किया था। हज हाउस कुल 51.30 करोड़ रुपए की लागत से तैयार किया गया है। एक बार में 1886 यात्री एक बार में हज हाउस में ठहर सकते हैं। 47 डोरमेट्री हैं हज यात्रियों में ठहरने के लिए। 36 वीआईपी कमरे बनाए गए हैं।
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