सर्वोच्च न्यायालय ने आज आम्रपाली ग्रुप के 42000 से ज्यादा खरीददारों को एक अच्छी खबर दी है। शीर्ष अदालत ने निर्देश देते हुए कहा कि आम्रपाली ग्रुप के एनबीसीसी पूरा करेगा। आपको बता दें आम्रपाली बिल्डर के मामले पर शीर्ष अदालत ने सुनवाई के 10 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
शीर्ष अदालत ने अपने निर्णय में कहा कि होम बायर्स पेंडिंग अमाउंट तीन महीने में जमा कराएं। अदालत ने कहा कि डायरेक्टर्स ने खरीदारों के पैसे को कहीं और डायवर्ट कर दिया था। शीर्ष अदालत ने सख्त टिप्प्णी करते हुए कहा कि आम्रपाली ग्रुप ने मनी लॉन्ड्रिंग की है। फ्लैट की बोगस अलॉटमेंट की गई और बड़ी धोखाधड़ी हुई है।
उच्चतम न्यायालय ने कहा आम्रपाली ग्रुप को नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी द्वारा दी गई लीज रद्द की जाए। नोएडा अथॉरिटी आम्रपाली के बायर्स पर कार्रवाई न करे। साथ ही आम्रपाली ग्रुप का RERA के तहत किया गया रजिस्ट्रेशन भी रद्द किया जाए। अदालत ने कहा कि घर खरीदार बाकी बचे हुए पैसे को तीन महीने में सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री में जमा करा दे।
अदालत ने पूरे मामले में प्रवर्तन निदेशालय को मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच करने के भी आदेश दिए। अदालत ने आर वेंकट रमानी को कोर्ट रिसीवर नियुक्त किया है। सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी को मामले में उचित कार्रवाई करने के लिए कहा है। मामले की अगली सुनवाई 9 अगस्त को होगी। आपको बता दें सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली ग्रुप के मामले में 10 मई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि साल 2015 से 2018 के बीच आम्रपाली का अकाउंट मैंटेन नहीं था, इसी दौरान पैसा इधर से उधर हुआ है। इससे पहले भी अदालत ने आम्रपाली ग्रुप को फटकार लगाते हुए कहा था कि आपने आसमान की ऊंचाई तक लोगों के साथ धोखा किया है। आपने बायर्स, बैंक और प्राधिकरण तीनों के साथ धोखा किया। अदालत ने सख्त लहजे में कहा था आपके पीछे जो भी पावरफुल लोग खड़े हैं हम किसी को नहीं छोड़ेंगे।
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