गाज़ियाबाद। ‘परिवार नियोजन में साझेदारी, अब होगी पुरुषों की सक्रिय भागीदारी’ यह स्लोगन परिवार नियोजन के प्रति जागरूक करने की ओर साफ इशारा कर रहा है। लेकिन परिवार नियोजन के मामले में पुरुषों की भागीदारी महिलाओं की अपेक्षा काफी कम है, जो देश की बढ़ती जनसंख्या के नियंत्रण में रोड़ा बनी हुई है। 21वीं सदी में भी पुरुष रुढ़ीवादी सोच के चलते नसबंदी से दूर भाग रहे हैं। सरकारी स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों को देखें तो महिला नसबंदी की अपेक्षा पुरुष नसबंदी काफी कम है।
आंकड़ों के मुताबिक जिले में वर्ष 2017- 2018 में 28 पुरुषों ने और 1403 महिलाओं ने नसबंदी कराई थी। इसके अलावा मिनीलैप लगवाने वाली महिलाओं की संख्या 234 है। गर्भ निरोधन के तरीकों को इस्तेमाल करने में भी पुरुष महिलाओं से बहुत पीछे हैं। जिला महिला अस्पताल के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2018- 2019 में अबतक 30 पुरुषों ने और 1203 महिलाओं ने नसबंदी कराई है। अस्पताल सूत्रों के मुताबिक, नसबंदी के लिए गांव के पुरुष बात करना भी पसंद नहीं करते हैं। महिलाएं अगर नसबंदी करवाना चाहती हैं तो उनको भी अपने पति और घरवालों से सहमति लेनी पड़ती है।
जबकि, परिवार नियोजन के लिए पुरुषों को बतौर प्रोत्साहन तीन हजार रुपए और महिलाओं को दो हजार रुपए की धनराशि दी जाती है। इसके साथ ही नसबंदी के चयन के लिए तैयार करने वाली आशा को एक हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि मिलती है। आंकड़े बताते हैं कि परिवार नियोजन में नसबंदी से पुरुष भाग रहे हैं, जबकि महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा कहीं ज्यादा परिवार नियोजन को लेकर सजग हैं।
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