यातायात का बढ़ता बोझ, लोगों में धैर्य की कमी और नियम कानून को ठेंगा दिखाने की आदत, यही वजह है कि देश में सड़क दुर्घटनाओं की बाढ़-सी आ गई है। ऐसे में अगर बात की जाए दोपहिया वाहन चालकों की, तो इनके सिर पर रखा हेलमेट बोझ नहीं बल्कि ज़िन्दगी का सुरक्षा कवच साबित होता है। इसलिए यह बात और भी महत्त्वपूर्ण हो जाती है कि हेलमेट अच्छी गुणवत्ता का व मजबूत हो।
लेकिन बहुत से लोग सुरक्षा को नज़रअंदाज़ कर केवल चालान से बचने के लिए केवल दिखावटी हेलमेट ही लगाते हैं। जबकि कई बार इसका ख़ामियाज़ा ज़िन्दगी देकर चुकाना पड़ता है। अभी बीते सोमवार को ही गाज़ियाबाद के एलिवेटेड रोड पर हुए सड़क हादसे में एक बाइक सवार युवक की मौत हो गई। वजह वही दिखावटी हेलमेट, जो सुरक्षा देने से पहले ही चकना चूर हो गया।
बता दें कि, देश में हर मिनट एक सड़क दुर्घटना और हर चार मिनट में एक मौत होती है। सालाना करीब 1.35 लाख लोग सड़क हादसों के शिकार होते हैं। जानकर हैरानी होगी कि हादसों में हुई 30 फीसद मौतें सिर पर चोट लगने की वजह से होती हैं। इस इस भयावह आंकड़ों के बाद भी बहुत से दोपहिया वाहन चालक हेलमेट की उपयोगिता को गंभीरता से नहीं लेते। नो हेलमेट, नो पेट्रोल अभियान का मकसद यातायात नियमों के पालन कराने का ही नहीं, बल्कि हादसों में सिर की चोटों से होने वाली मौतों को रोकना है।
बाजार से सस्ते से सस्ता हेलमेट खरीदकर महज औपचारिकता के लिए पहनना खुद को मौत के हवाले करने जैसा है। सुरक्षा मानकों के अनुरूप तैयार हेलमेट ही दुर्घटना के वक़्त जिंदगी बचाने में सहायक होते हैं। ऐसे में हेलमेट खरीदते समय ISI मार्क अवश्य देखना चाहिए। गंभीर दुर्घटनाओं में भी मज़बूत हेलमेट ने बहुत से लोगों की जान बचाई है। इसलिए हमारा गाज़ियाबाद की टीम तहे दिल से कहती है, थैंक यू हेलमेट।
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