वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट के एक दिन के बाद कहा था कि श्रमिकों की हालत को बेहतर बनाने के लिए सरकार मिनिमम वेज (न्यूनतम मजदूरी) और पेंशन की सुविधा लाने जा रही है। उन्होंने बताया कि 44 लेबर कोड को 4 लेबर कोड में बदला जा रहा है। इनमें से तीन को बहुत जल्द कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा। हमारी टीम ने मिनिमम वेज को लेकर कई विशेषज्ञों और मजदूर संघ के नेताओं से बात की। मंत्रालय के अधिकारियों से भी इस मसले पर बात करने की कोशिश की गई। हम आपको बता रहे हैं कि मिनिमम वेज को लेकर क्या-क्या संभावनाएं बन रही हैं।
- न्यूनतम मजदूरी की अधिकतम दर हो सकती है 500 रुपए रोजाना
- बोनस, पीएफ जैसी चीजें मिनिमम वेज का पार्ट नहीं
पूरे देश के लिए नेशनल मिनिमम वेज जारी करेगी सरकार
केंद्र सरकार पूरे देश के लिए नेशनल मिनिमम वेज जारी करेगी। इस वेज से कम मजदूरी राज्य सरकार नहीं तय कर सकती है। अभी सभी राज्य सरकार अपने-अपने राज्यों के लिए अलग- अलग मजदूरी तय करती है। केंद्र द्वारा तय मिनिमम वेज हर राज्य और क्षेत्र के लिए अलग-अलग हो सकती है। सरकार ने न्यूनतम मजदूरी के लिए देश को पांच रीजन में बांटा है।
न्यूनतम मजदूरी की सबसे अधिक दर 446.6 रुपए प्रतिदिन हो सकती है
न्यूनतम मजदूरी की सबसे अधिक दर 446.6 रुपए प्रतिदिन हो सकती है। यह दर रीजन चार के लिए होगी। रीजन चार में हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा एवं चंडीगढ़ शामिल हैं। इसके अलावा सभी रीजन में रहने के लिए अलग से हाउसिंग भत्ता देना होगा जो कि 55 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से दिया जाएगा। रीजन तीन के लिए न्यूनतम मजदूरी प्रतिदिन 414.4 रुपए तय की गई है। रीजन तीन में गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल एवं पांडिचेरी शामिल हैं। रीजन पांच के लिए 385.8 रुपए प्रतिदिन की न्यूनतम मजदूरी तय की गई है। इस रीजन में नार्थ-ईस्ट के सभी राज्य शामिल हैं। दिल्ली एवं उत्तर प्रदेश को बिहार, झारखंड, उड़ीसा, मध्यप्रदेश एवं पश्चिम बंगाल के साथ रीजन एक में शामिल किया गया है। इस रीजन के लिए न्यूनतम मजदूरी की दर सिर्फ 341.5 रुपए तय की गई है। रीजन दो में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर एवं राजस्थान शामिल हैं। इन राज्यों के लिए 380.2 रुपए प्रतिदिन की न्यूनतम मजदूरी होगी। रीजन के आधार पर न्यूनतम मजदूरी तैयार करने के दौरान उन राज्यों में खाने का खर्च और जीवनयापन से जुड़ी अन्य चीजों पर होने वाले खर्च को पैमाना बनाया गया है।
हर पांच साल पर मिनिमम वेज को रिवाइज किया जाएगा
अभी सिर्फ 34 सूचीबद्ध सेक्टर है जहां मिनिमम वेज लागू हैं। लेकिन सरकार के प्रस्तावित कोड में अधिकतम सेक्टर को सूचीबद्ध करना है ताकि वहां मिनिमम वेज के प्रावधान को लागू किया जा सके। उदाहरण के लिए अभी कोयला क्षेत्र सूचीबद्ध नहीं है। यही वजह है कि कोयला क्षेत्र में काम करने वाले कांट्रैक्ट लेबर पर मिनिमम वेज का नियम लागू नहीं होता है। सूचीबद्ध सेक्टर के कांट्रैक्ट लेबर को भी मिनिमम वेज हर हाल में देना होगा। न्यूनतम मजदूरी नहीं देने वालों नियोक्ता को जुर्माना भी देना पड़ सकता है। किसी भी सेक्टर के कर्मचारियों से 8 घंटे से अधिक समय तक काम नहीं लिया जा सकेगा। हर पांच साल पर मिनिमम वेज को रिवाइज किया जाएगा। राज्यों के लिए ऐसा करना अनिवार्य होगा।
बोनस नहीं होगा मिनिमम वेज का पार्ट
बोनस न्यूनतम मजदूरी का पार्ट नहीं होगा। ओवरटाइम भत्ता, ट्रैवलिंग भत्ता, पीएफ, ग्रेच्यूटी व पेंशन के मद में दी गई राशि को मिनिमम वेज का पार्ट नहीं माना जाएगा।
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