वित्त मंत्रालय ने कहा है कि जीएसटी मासिक बिक्री रिटर्न और की गई आपूर्ति के ब्योरे में किसी भी अंतर की जानकारी सालाना रिटर्न फार्म में देनी होगी और उस पर बनने वाला वाजिब कर का भुगतान किया जाना चाहिए।
सालाना रिटर्न और मिलान ब्योरा पर अपने स्पष्टीकरण में मंत्रालय ने कहा कि कंपनियों ने कुछ सवाल पूछे हैं कि सालाना रिटर्न भरने तथा मिलान ब्योरा भरने के लिये आंकड़ों का प्राथमिक स्रोत जीएसटीआर-1, जीएसटीआर-3बी या लेखा बही-खाता इनमें से क्या होना चाहिये। जीएसटीआर-1 जहां बाहर की गई आपूर्ति का खाता होता है वहीं जीएसटीआर-3बी में सभी लेन-देन का सार बताया जाता है और भुगतान किये जाते हैं। मंत्रालय ने कहा कि जीएसटी-1, जीएसटीआर-3बी और लेखा बही- सभी खाते एक समान होने चाहिए और विभिन्न फार्म तथा बही-खातों में मूल्य का मिलान होना चाहिये।
अगर इनमें मिलान नहीं होता है तो दो चीजें हो सकती हैं… या तो कर का भुगतान सरकार को नहीं किया गया या अधिक कर का भुगतान किया गया। मंत्रालय के अनुसार पहले मामले में उसकी घोषणा सालाना रिटर्न में होनी चाहिए और कर का भुगतान किया जाना चाहिए। बाद में सभी सूचना सालाना रिटर्न में दी जा
दूसरी तरफ कर विभाग ने 50 लाख रुपए तक का कारोबार करने वाले सेवाप्रदाताओं के लिए कम्पोजिशन योजना का विकल्प चुनने की तारीख तीन महीने बढ़ाकर 31 जुलाई कर दी है। कम्पोजिशन योजना का विकल्प चुनने वाले सेवाप्रदाताओं को छह प्रतिशत का माल एवं सेवा कर (जीएसटी) देना होगा।
केंद्रीय वित्त मंत्री की अगुवाई वाली जीएसटी परिषद ने एक अप्रैल, 2019 से ऐसे सेवाप्रदाताओं को कम्पोजिशन योजना का विकल्प चुनने और घटी छह प्रतिशत की दर से कर का भुगतान करने की अनुमति दी थी। जीएसटी परिषद में राज्यों के वित्त मंत्री भी शामिल हैं। जीएसटी के तहत ज्यादातर सेवाओं पर 12 और 18 प्रतिशत का कर लगता है।
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने सर्कुलर में कहा कि ऐसे आपूर्तिकर्ता जो कम्पोजिशन योजना का विकल्प चुनना चाहते हैं उन्हें फॉर्म जीएसटी सीएमपी-02 भरना होगा। इसके लिए उन्हें कम्पोजिशन शुल्क के लिये पात्र अन्य आपूर्तिकर्ता का चयन करना होगा। उन्हें यह फॉर्म 31 जुलाई, 2019 तक भरना होगा। इससे पहले सीबीआईसी ने कम्पोजिशन योजना का विकल्प चुनने के लिए अंतिम तारीख 30 अप्रैल,2019 तय की थी।
जीएसटी कम्पोजिशन योजना अब तक उन व्यापारियों और विनिर्माताओं को उपलब्ध थी जिनका सालाना कारोबार एक करोड़ रुपये तक है। इस सीमा को एक अप्रैल से बढ़ाकर 1.5 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
योजना के तहत व्यापारियों और विनिर्माताओं को वस्तुओं पर सिर्फ एक प्रतिशत जीएसटी देना होता है। वैसे इन वस्तुओं पर ऊंचा 5, 12 या 18 प्रतिशत का जीएसटी लगता है। ऐसे डीलरों को अपने उपभोक्ताओं से जीएसटी लेने की अनुमति नहीं है। जीएसटी के तहत पंजीकृत 1.22 करोड़ कंपनियों और कारोबारियों में से 17.5 लाख ने जीएसटी कम्पोजिशन योजना के विकल्प को चुना है।
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