लोकसभा चुनाव 2019 बीत चुका है, हार-जीत हो चुकी है, सरकार भी बन चुकी है। बस कुछ रह गया है, तो शहर की सड़कों, गली-कूचों तथा दीवारों पर लगे पोस्टर-बैनर और फ्लेक्स। इसकी रोकथाम के लिए जिम्मेदार नगर निगम व प्रशासन के अधिकारियों की उदासीनता के चलते शहर की सुंदरता खराब हो रही है। आलम यह है कि शहर में अधिकांश दीवारों पर इन दिनों राजनीतिक पार्टियों व अन्य विज्ञापनों के फ्लैक्स, विनाइल व पोस्टर आसानी से देखे जा सकते हैं।
इतना ही नहीं बस स्टैंड, स्कूल, कॉलेज तथा सरकारी व गैर सरकारी भवनों की दीवारों पर प्रतिबंधित विनाइल व फ्लैक्स आदि के बने पोस्टर-बैनर लगातार लगाए जा रहे हैं। यदि सुस्त प्रशासन व चुस्त विज्ञापन का दौर ऐसे ही जारी रहा तो आने वाले दिनों में शहर में प्रदूषण की स्थिति और भी भयावह हो जाएगी।
शहर के जिन प्रमुख फ्लाईओवरों पर बीते दिनों जीडीए द्वारा स्वच्छता के सन्देश वाली पेंटिंग बनवाई गई थीं, शासन-प्रशासन की नाक के नीचे पोस्टर-बैनर चिपकाकर उन्हें ही अस्वच्छ कर दिया गया, दीवारों की खूबसूरती को बदरंग कर दिया गया। आए दिन प्रचार-प्रसार के लिए होर्डिंग बैनर लगाने वाले लोग बिजली के खंभे पर भी होर्डिंग और बैनर लगा देते हैं। जबकि बिजली की एलटी लाइन से छह फीट की दूरी तक निर्माण एवं होर्डिंग लगाया जाना प्रतिबंधित है।
हालाँकि पूर्व में प्रशासन द्वारा अभियान चलाकर इन्हें हटाया गया था, लेकिन कार्रवाई सुस्त होते ही दोबारा अवैध पोस्टरबाजी शुरू हो गई। देखते ही देखते शहर अवैध होर्डिंग, पोस्टर व बैनर से पाट दिया गया। जबकि तेज आंधी व बारिश में होर्डिग्स के उखड़कर गिरने की बातें आम हो चुकी हैं। ऐसे में शहर की अधिकांश सड़कों, पार्कों व खम्भों पर लगे ये प्रतिबंधित होर्डिंग्स शहरवासियों के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं।
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