कई बार ऐसा होता है कि बैंक लोन की रकम वसूल करने के लिए ग्राहक के पास बाउंसर भेजते हैं। इस बारे में आज लोकसभा में वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि किसी भी बैंक के पास ग्राहकों से जबरदस्ती लोन रिकवर करने के लिए बाउंसर भेजने का अधिकार नहीं है।
अनुराग ठाकुर ने कहा कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के स्पष्ट दिशा-निर्देश हैं कि उचित पुलिस वेरिफिकेशन और दूसरी संबंधित औपचारिकताएं पूरी करने के बाद ही पैसे रिकवर करने के लिए एजेंट्स भेज सकते हैं। प्रश्नकाल के दौरान उन्होंने कहा, ‘किसी के पास भी लोन को जबरदस्ती रिकवर करने के लिए कोई बाउंसर नियुक्त करने का कोई अधिकार नहीं है।’
ठाकुर ने कहा कि आरबीआई ने ‘Guidelines on Fair Practices Code for Lenders’ (ऋणदाताओं के लिए निष्पक्ष व्यवहार कोड पर दिशा-निर्देश) जारी किए हैं जिन्हें बैंक द्वारा अपनाए जाने की जरूरत है। उनके बोर्ड द्वारा इन्हें दो बार अप्रूव किया गया है।
उन्होंने कहा, ‘यह सर्कुलर ऋणदाताओं को लोन रिकवर करने के दौरान किसी तरह का शोषण करने से रोकता है, जैसे बेवक्त कर्जदारों को परेशान करना या लोन रिकवर करने के लिए ताकत का इस्तेमाल करना।’
मंत्री ने कहा कि इससे जुड़ी शिकायतों की बात करें तो आरबीआई ने जानकारी दे दी है कि इन दिशा-निर्देशों के उल्लंघन से जुड़ी शिकायतें मिलने और बैंकों के रिकवरी एजेंट्स द्वारा गलत व्यवहार किए जाने को गंभीरता से लिया जा रहा है। इस तरह के मामले में आरबीआई एक खास अवधि के लिए किसी एरिया में रिकवरी एजेंट्स को नियुक्त करने पर आरबीआई बैंक को बैन करने के बारे में सोच सकता है।
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