‘केंद्र के दबाव में आया अयोध्या विवाद पर फैसला’, SC के पूर्व जज को राज्यपाल बनाए जाने पर बोले अल्वी

नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने आंध्र प्रदेश के राज्यपाल के रूप में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एस अब्दुल नजीर की नियुक्ति को लेकर भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में केंद्र के दबाव में अपना फैसला सुनाया है।

राशिद अल्वी ने कहा, “भाजपा ने हिंदुओं और मुसलमानों को विभाजित किया है। तुष्टिकरण तब होता है जब एक समुदाय को उसके अधिकार से ज्यादा मिलता है, लेकिन मुसलमानों को उनका उचित हिस्सा भी नहीं मिलता है। न्यायमूर्ति नजीर को राज्यपाल के रूप में नियुक्त करना न्यायपालिका में लोगों के विश्वास को कम कर रहा है।” कांग्रेस नेता ने कहा कि ‘लोग सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठा रहे हैं। लोग कह रहे हैं कि फैसला केंद्र सरकार के दबाव में दिया गया। न्यायपालिका को कार्यपालिका से स्वतंत्र होना चाहिए। संविधान के अनुच्छेद 50 में इसका जिक्र है’। राशिद अल्वी ने भाजपा सरकार पर धर्म के आधार पर देश को बांटने का भी आरोप लगाया और कहा कि जस्टिस नजीर को राज्यपाल बनाए जाने से लोगों की न्यायपालिका में आस्था घटी है।

उल्लेखनीय है कि पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को भी केंद्र सरकार ने राज्यसभा का सदस्य बनाया है। रिटायर्ड जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने ही राम जन्मभूमि विवाद पर फैसला दिया था। इस पर राशिद अल्वी ने कहा कि सरकार को न्यायपालिका को स्वतंत्र छोड़ देना चाहिए। न्यायपालिका का कार्यपालिका से कोई रिश्ता नहीं होना चाहिए और सरकार की कोशिश होनी चाहिए कि न्यायपालिका पूरी तरह से स्वतंत्र होनी चाहिए।

इन-इन अहमों फैसलों का हिस्सा रहे हैं न्यायमूर्ति नजीर
न्यायमूर्ति नजीर (सेवानिवृत्त) जो 4 जनवरी 2023 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में सेवानिवृत्त हुए हैं। न्यायमूर्ति नजीर ने तीन तलाक, अयोध्या-बाबरी मस्जिद विवाद मामले, विमुद्रीकरण मामले और एक फैसले सहित कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा थे।

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