गाजियाबाद में सुसाइड कर रहा था युवक, अमेरिका से फेसबुक ने ऐसे बचाई जान

गाजियाबाद। विजयनगर थाना पुलिस में एक फेसबुक अलर्ट ने युवक की जान बचा ली। युवक इंस्टाग्राम लाइव में सुसाइड करने की तैयारी कर रहा था। अमेरिका के कैलिफोर्निया में फेसबुक और इंस्टाग्राम की पैरेंट कंपनी मेटा हेडक्वार्टर में जैसे ही उसका वीडियो दिखाई दिया, टीम ने यूपी पुलिस को अलर्ट भेजा। सूचना पर पुलिस मोबाइल की लोकेशन लेकर मौके पर पहुंची और युवक को बचा लिया। करीब पांच घंटे की काउंसलिंग के युवक को परिजनों को सौंप दिया गया है।

मूलरूप से कन्नौज के इस्लामनगर निवासी अभय शुक्ला विजयनगर थानाक्षेत्र के प्रताप विहार सेक्टर-12 में किराए पर अकेला रहता है। अभय मोबाइल रिपेयरिंग का काम करता था। कंपनी इसके बदले में उसे कमीशन देती थी। खुद का कारोबार करने के लिए उसने बहन की शादी के लिए घर में रखे 90 हजार रुपये खर्च कर दिए, जिसमें उसे घाटा हो गया। इसी के चलते अभय शुक्ला ने मंगलवार रात करीब दस बजे आत्महत्या करने का फैसला लिया। अभय शुक्ला इंस्टाग्राम पर लाइव आकर फांसी का फंदा बनाने लगा। वीडियो देखकर इंस्टाग्राम-फेसबुक के हेडक्वार्टर ने उत्तर प्रदेश पुलिस के सोशल मीडिया सेंटर को ईमेल अलर्ट भेजा। इस ईमेल में अभय का रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर भी लिखा हुआ था। पुलिस ने तुरंत नंबर को सर्विलांस पर लिया तो लोकेशन गाजियाबाद की निकली।

सोशल मीडिया सेंटर ने यह अलर्ट गाजियाबाद पुलिस कमिश्नरेट को ट्रांसफर किया। वहां से विजयनगर थाना पुलिस को मैसेज दिया गया। जिसके बाद पुलिस सक्रिय हो गई। इसके बाद पुलिस ने अभय को फांसी लगाने से पहले ही बचा लिया। अमेरिका से गाजियाबाद तक मैसेज के बाद पुलिस पहुंचने तक के प्रोसेस में महज 13 मिनट ही लगे। इसी वजह से युवक की जान बच पाई।

इंस्पेक्टर अनीता चौहान ने बताया कि मैंने जब अभय के मोबाइल पर फोन किया तो करीब सात बार कॉल कटी। आठवीं बार में मेरी कॉल रिसीव हुई। हमारे पास उसके घर का सही एड्रेस नहीं था। पुलिस मुख्यालय से जो लोकेशन भेजी गई थी, उसमें 15-20 मीटर का एरिया दिख रहा था। आखिरकार मैंने बातों में उलझाकर उससे मकान नंबर पूछ लिया। चूंकि मैं पुलिस टीम के साथ घर के आसपास ही घूम रही थी तो पलभर में उसके घर के अंदर पहुंच गई। वो कमरे के अंदर बंद था। जैसे ही गेट खुला, हमने उसको पकड़ लिया और थाने पर ले आए। थाने पर हमने करीब छह घंटे तक उसकी काउंसिलिंग की।

उसको समझाया कि आत्महत्या करने से कुछ नहीं होता। यदि इंसान जिंदा है तो नुकसान की भरपाई भी कर लेगा। उसे ये भी बताया कि अगर वो नहीं बचेगा तो बहन की शादी कैसे हो पाएगी। आखिरकार हमारी काउंसिलिंग का असर हुआ और उसने अपनी गलती मानी। उसने हमें ये भरोसा भी दिया है कि आइंदा वो ऐसा कदम नहीं उठाएगा। इसके बाद हमने अभय को उसके परिजनों की सुपुर्दगी में दे दिया।’

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