पेशावर की मस्जिद में जोरदार आत्मघाती हमला, अब तक 83 लोगों की मौत

पेशावर। पाकिस्तान के पेशावर में एक मस्जिद पर आत्मघाती हमला हुआ है। इस धमाके में मरने वालों की संख्या 83 पर पहुंच गई है जबकि करीब 160 घायल हुए हैं। घायलों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। मारे गए लोगों में अधिकतर पुलिस कर्मचारी या अधिकारी थे जो मस्जिद में नमाज अदा कर रहे थे। पाक पीएम शाहबाज शरीफ ने अस्पताल पहुंचकर घायलों से मुलाकात की है।

नमाज पढ़ने आए लोगों की वजह से पेशावर की मस्जिद खचाखच भरी हुई थी। हाई सिक्योरिटी जोन में स्थित इस मस्जिद में दोपहर 1.40 बजे भयंकर धमाका हुआ। आत्मघाती हमलावर भी आगे की लाइन में ही मौजूद था। लोग नमाज पढ़ रहे थे, तभी हमलावर ने आत्मघाती जैकेट के जरिए से विस्फोट कर दिया। धमाका होते ही मस्जिद में चारों ओर धुआं-धुआं फैल गया। हमला इतना भीषण था कि मस्जिद की दीवार तक ढह गई। इसके नीचे भी कई लोग दब गए।

‘नहीं पता कैसे बाल-बाल बच गया’
जीवित बचे 38 वर्षीय पुलिस अधिकारी मीना गुल ने कहा कि जब बम ब्लास्ट हुआ तो वह मस्जिद के अंदर थे। उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं पता कि वह कैसे बाल-बाल बच गए। गुल ने कहा कि बम फटने के बाद वह रोने और चीखने की आवाजें सुन सकता था। पुलिस ने कहा कि बचावकर्ता मस्जिद के मैदान से मलबे के ढेर को हटाने और मलबे में फंसे नमाजियों को निकालने की कोशिश कर रहे हैं। पुलिस अधिकारी ने बताया कि घायलों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। उन्होंने कहा कि कई घायलों को गंभीर हालत में एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है और आशंका है कि मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है। पेशावर अफगानिस्तान की सीमा से लगे खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की राजधानी है और लगातार आतंकवादी हमले होते रहे हैं।

पिछले साल शिया मस्जिद में हुआ था धमाका
पेशावर में पिछले साल मार्च में एक शिया मस्जिद में धमाका हुआ था। तब हमले में 62 लोग मारे गए थे। ये सभी शिया समुदाय के लोग थे। धमाके के वक्त मस्जिद में जुमे की नमाज चल रही थी। इस आत्मघाती हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट खोरासान ग्रुप (IS-KP) ने ली थी।

9 साल पहले हुआ था आर्मी स्कूल पर हमला
16 दिसंबर 2014 को पेशावर के आर्मी पब्लिक स्कूल पर आतंकी हमला हुआ था। इसमें 148 लोग मारे गए थे। इनमें 141 स्कूली बच्चे थे। TTP ने हमले की जिम्मेदारी ली थी। बाद में साजिश रचने वाले चार आतंकियों को गिरफ्तार किया गया था। संगठन का प्रवक्ता भी गिरफ्तार हुआ था। हैरानी की बात अहसान उल्ला नाम का यह प्रवक्ता बेहद रहस्यमयी तरीके से फौज की गिरफ्त से बड़े आराम से फरार हो गया था। बाद में उसने खुद कहा था कि फौज ने ही उसे रिहा किया था।

TTP के निशाने पर पाकिस्तान
पाकिस्तान में TTP के हमले लगातार तेज होते जा रहे हैं। इनकी जद में राजधानी इस्लामाबाद भी आ गई है। पिछले महीने इस्लामाबाद में एक फिदायीन हमला हुआ था। इसमें एक पुलिस अफसर मारा गया था और 6 लोग घायल हो गए थे। इसके बाद शाहबाज शरीफ ने कैबिनेट मीटिंग बुलाई थी। मीटिंग के बाद होम मिनिस्टर राणा सनाउल्लाह ने कहा था- पाकिस्तान अपनी हिफाजत के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। अगर अफगानिस्तान की तालिबान हुकूमत ने TTP को नहीं रोका तो हम अफगानिस्तान में घुसकर इन आतंकियों को मारेंगे।

पाकिस्तानी तालिबान, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान या टीटीपी के रूप में जाना जाता है। यह अलग समूह है, लेकिन अफगान तालिबान का करीबी सहयोगी भी है, जिसने अगस्त 2021 में पड़ोसी अफगानिस्तान में सत्ता पर कब्जा कर लिया था, क्योंकि अमेरिकी और नाटो सैनिक 20 साल बाद अफगानिस्तान की धरती छोड़कर वापस चले गए थे। टीटीपी ने पिछले 15 सालों में पाकिस्तान में विद्रोह छेड़ रखा है, देश में इस्लामी कानूनों को लागू किए जाने के लिए लड़ रहा है। इसके अलावा अपने सदस्यों की रिहाई जो हिरासत में हैं, उनकी मांग कर रहा है।

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