गाजियाबाद: गुर्दे और लिवर में चोट लगने से हुई ऑटो चालक की मौत, चौकी इंचार्ज निलंबित

गाजियाबाद। इंदिरापुरम कोतवाली क्षेत्र के कनावनी में एक ऑटो चालक की मौत गुर्दे और लिवर में गहरी चोट लगने से हुई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इसकी पुष्टी हुई है। इसके बाद उसकी गैर इरादतन हत्या के केस में नामजद चौकी प्रभारी अजय कुमार को निलंबित कर दिया गया। चौकी पर तैनात दो सिपाहियों को लाइन हाजिर करने के लिए डीसीपी ने पुलिस आयुक्त से संस्तुति की है।

मूलरूप से जिला कासगंज में अमापुर थाना क्षेत्र के गांव नंगला बांस निवासी 25 वर्षीय धर्मपाल यादव की मौत के बाद वीडियोग्राफी के बीच डॉक्टरों के पैनल ने पोस्टमार्टम किया। इसकी रिपोर्ट मंगलवार दोपहर को पुलिस को मिल गई। इसके बाद दरोगा को निलंबित किया गया। उधर, पोस्टमार्टम के बाद परिवार के लोग धर्मपाल के शव को कासगंज थाना अमांपुर क्षेत्र के गांव नगला बांस ले गए।

वहीं पुलिस उपायुक्त डॉ. दीक्षा शर्मा का कहना है कि कि धर्मपाल की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बाहरी चोट नहीं आई है। गुर्दे और लिवर में ज्यादा चोट लगने से मौत हो गई। घटनास्थल पर जांच में पता चला कि साइकिल सवार युवकों को टक्कर लगने के बाद ऑटो पलट गया था। चालक धर्मपाल उसके नीचे फंसा हुआ था। ऑटो के नीचे आ जाने के कारण ही उसे गंभीर चोट आईं। साथ ही मामले की जांच प्रभावित नहीं होने के लिए चौकी के दो सिपाहियों को लाइन हाजिर करने के लिए पुलिस उपायुक्त अजय मिश्रा को पत्र लिखा है। चौकी प्रभारी के खिलाफ विभागीय जांच के भी आदेश दिए गए हैं।

क्यों नहीं कराया उपचार?
अगर यह मान लिया जाए कि धर्मपाल ऑटो पलटने से घायल हुआ था तो घटनास्थल पर पहुंची पुलिस ने उसे अस्पताल में भर्ती क्यों नहीं कराया? ऑटो की टक्कर से घायल हुए युवकों को राहगीर अस्पताल ले गए थे। उनकी हालत की जानकारी के लिए धर्मपाल भी वहां पहुंच गया था। पुलिस ने उसे वहीं से हिरासत में लिया। उसके शरीर में इतनी गंभीर चोट होते हुए भी उसे पुलिस चौकी क्यों लेकर गए और तीन घंटे तक हिरासत में क्यों रखा?

बता दें ऑटो चालक धर्मपाल रविवार रात करीब 10 बजे धर्मपाल कनावनी पुस्ते से घर लौट रहा था। रात दस बजे उसके ऑटो की टक्कर से साइकिल सवार दो युवक घायल हो गए थे। पुलिस ने दोनों को अस्पताल में भर्ती कराया था। इसके बाद धर्मपाल को हिरासत में लेकर चौकी ले गई थी। परिजनों के मुताबिक रात करीब 1:30 बजे पुलिस ने धर्मपाल के चचेरे भाई मुरारी को बुलाकर उसे सौंप दिया। उसकी हालत काफी गंभीर थी। मुरारी उसे उपचार के लिए शांति गोपाल अस्पताल ले गया। डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मुरारी का कहना है कि जब रात में हम चौकी पर आए तो पुलिसवालों ने 3510 रुपए जमा करवा लिए और उसके बाद छोड़ा। मैंने जब भाई से पूछा तो उसके सीने में दर्द हो रहा था। वो बता रहा था कि पुलिस वालों ने उसको खूब पीटा है। उसके सीने में चोट लग रही थी।

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