नंबी नारायणन केस में चार आरोपियों की अग्रिम जमानत खारिज

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने वैज्ञानिक नंबी नारायणन केस के चार आरोपियों को अग्रिम जमानत देने के केरल हाईकोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया। इसरो की जासूसी के मामले में नारायणन को 1994 में फर्जी ढंग से फंसाया गया था। 

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने केरल हाईकोर्ट का फैसला खारिज किया। सीबीआई ने हाईकोर्ट के जमानत के आदेश के खिलाफ शीर्ष कोर्ट में याचिका दायर की थी। सीबीआई ने केरल के पूर्व डीजीपी सिबी मैथ्यूज सहित चार आरोपियों को मिली अग्रिम जमानत को चुनौती दी थी। केरल हाईकोर्ट ने इस मामले में आरोपी 5 पुलिसकर्मियों और IB अधिकारियों को अग्रिम जमानत दे दी थी। कोर्ट के इस फैसले को सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इस पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने केरल हाईकोर्ट को आदेश जारी किया है।

साजिश के तहत पाकिस्तान के लिए जासूसी का लगाया आरोप
वैज्ञानिक नंबी नारायणन ने इसरो में रहते हुए कई शोध किए थे। देश के अंतरिक्ष अनुसंधान में भी उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी। 1994 में उन पर भ्रष्टाचार और पाकिस्तान के लिए जासूसी करने का आरोप लगाया गया और उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया था। नारायणन पर आरोप लगाए गए कि वे रॉकेट व उपग्रह से संबंधित गोपनीय जानकारियों की जासूसी करते थे। 

अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए नांबी नारायणन ने एक लंबी कनूनी लड़ाई लड़ी। नंबी पर लगे आरोपों को 1996 में सीबीआई ने खारिज कर दिया, जिसके बाद 1998 में सप्रीम कोर्ट ने भी उन्हें बेकसूर बताया और केरल सरकार को उत्पीड़न करने के लिए मुआवजा देने के लिए कहा। इस केस को जीतने के बाद केरल सरकार में गजब की उठा पटक भी देखने को मिली। अप्रैल 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने नमबी नरायाणन पर रचे गए इस साजिश की सीबीआई जांच करने का भी आदेश दिया। जासूसी केस में जीत हासिल करने के बाद केरल सरकार ने नंबी को 1.3 करोड़ रूपये बतौर मुआवजा अदा किया। साल 2019 में नारायणन को सरकार ने भारत के तीसरे सबसे प्रतिष्ठित पद्म भूषण पुरस्कार से भी नवाजा।

नंबी नारायण पर बनी है फिल्म ‘रॉकेट्री’
वयोवृद्ध वैज्ञानिक नंबी नारायणन पर हाल ही में आर. माधवन ने फिल्म ‘रॉकेट्री’ बनाई है। माधवन ने ही फिल्म में नाराणन की भूमिका निभाई थी। फिल्म रिलीज होने के बाद नंबी नारायण को लेकर देश में फिर चर्चा शुरू हो गई थी। फिल्म में इसरो वैज्ञानिक के रूप में उनकी सफलताएं और बाद में साजिश के तहत उन्हें फंसाए जाने को दर्शाया गया है। कई वर्षों तक जेल में रहने और लंबी लड़ाई लड़ने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें दोषमुक्त करार दिया था। 

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