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देवेंद्र फडणवीस नहीं, एकनाथ शिंदे होंगे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, कुछ देर में लेंगे शपथ

by Hamara Ghaziabad Staff
June 30, 2022
in ख़बरें राज्यों से
देवेंद्र फडणवीस नहीं, एकनाथ शिंदे होंगे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, कुछ देर में लेंगे शपथ
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मुंबई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस नहीं, एकनाथ शिंदे होंगे। इसकी घोषणा खुद देवेंद्र फडणवीस ने शिंदे की मौजूदगी में की। शिंदे शाम के साढ़े सात बजे राजभवन में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। फडणवीस ने बताया कि आज सिर्फ एकनाथ शिंदे का शपथ ग्रहण होगा, मैं एकनाथ शिंदे के मंत्रिमंडल से बाहर रहूंगा।

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महाराष्ट्र में सियासी संकट के बीच बुधवार देर रात उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद आज देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे के बीच अहम बैठक हुई। दोनों राज्यपाल से मिलने राजभवन पहुंचे जिसके बाद देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस ने एलान किया कि एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के सीएम पद की शपथ लेंगे।

मनोनीत सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा- भाजपा के पास 120 विधायक हैं लेकिन उसके बावजूद देवेंद्र फडणवीस ने सीएम का पद नहीं संभाला। मैं पीएम मोदी, अमित शाह और अन्य भाजपा नेताओं के साथ उनका आभार व्यक्त करता हूं कि उन्होंने उदारता दिखाई और बालासाहेब के सैनिक (पार्टी कार्यकर्ता) को राज्य का सीएम बनाया। फडणवीस भले ही सरकार से बाहर रहेंगे लेकिन हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगे।

देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि जनता ने महाविकास अघाड़ी को बहुमत नहीं दिया था। उन्होंने कहा कि 2019 में बीजेपी और शिवसेना ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। हमें उस वक्त पूर्ण बहुमत मिला था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमें बड़ी जीत मिली थी। फडणवीस ने कहा कि एकनाथ शिंदे लगातार उद्धव ठाकरे से कहते रहे की आप महाविकास अघाडी (कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना गठबंधन) सरकार से बाहर निकलिए लेकिन उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे की एक नहीं सुनी।

उन्होंने कहा कि बाला साहब ने जीवन भर जिनसे लड़ाई की, ऐसे लोगों के साथ उन्होंने सरकार बनाई। ढाई साल तक कोई प्रगति नहीं हुई। उद्धव के नेतृत्व में महा विकास अघाडी की सरकार चली। महा विकास अघाडी सरकार को लेकर शिवसेना के कई नेता उद्धव ठाकरे से खफा थे।

कौन है एकनाथ शिंदे?
एकनाथ शिंदे का जन्म 9 फरवरी 1964 को हुआ था। सतारा उनका गृह जिला है। पढ़ाई के लिए शिंदे ठाणे आए। 11वीं तक की पढ़ाई यहीं की। इसके बाद वागले एस्टेट इलाके में रहकर ऑटो रिक्शा चलाने लगे। इसी दौरान उनकी मुलाकात शिवसेना नेता आनंद दिघे से हुई। महज 18 साल की उम्र में उनका राजनीतिक जीवन शुरू हुआ और शिंदे एक आम शिवसेना कार्यकर्ता के रूप में काम करने लगे।

करीब डेढ़ दशक तक शिवसेना कार्यकर्ता के रूप में काम करने के बाद 1997 में शिंदे ने चुनावी राजनीति में कदम रखा। 1997 के ठाणे नगर निगम चुनाव में आनंद दिघे ने शिंदे को पार्षद का टिकट दिया। शिंदे अपने पहले ही चुनाव में जीतने में सफल रहे। 2001 में नगर निगम सदन में विपक्ष के नेता बने। इसके बाद दोबारा साल 2002 में दूसरी बार निगम पार्षद बने।

आनंद दिघे के निधन के बाद बढ़ता गया कद
शिंदे का कद साल 2001 के बाद बढ़ना शुरू हुआ। जब उनके राजनीतिक गुरु आनंद दिघे का निधन हो गया। इसके बाद ठाणे की राजनीति में शिंदे की पकड़ मजबूत होने लगी। 2005 में नारायण राणे के पार्टी छोड़ने के बाद शिंदे का कद शिवसेना में बढ़ता ही चला गया। जब राज ठाकरे ने पार्टी छोड़ी तो शिंदे ठाकरे परिवार के करीब आ गए।

2004 में पहली बार विधायक बने
2004 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना ने शिंदे को ठाणे विधानसभा सीट से टिकट दिया। यहां भी शिंदे को जीत मिली। उन्होंने कांग्रेस के मनोज शिंदे को 37 हजार से अधिक वोट से मात दी। इसके बाद 2009, 2014 और 2019 में शिंदे ठाणे जिले की कोपरी पछपाखडी सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचे। देवेंद्र फडणवीस सराकर में शिंदे राज्य के लोक निर्माण मंत्री रहे।

लगे थे भावी मुख्यमंत्री के पोस्टर
2019 के विधानसभा चुनाव के बाद शिंदे मुख्यमंत्री पद की रेस में सबसे आगे थे। चुनाव के बाद विधायक दल की बैठक में खुद आदित्य ठाकरे ने शिंदे के नाम का प्रस्ताव रखा और वह शिवसेना विधायक दल के नेता चुने गए। इसके बाद तो उनके समर्थकों ने तो ठाणे में भावी मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के पोस्टर तक लगा दिए थे।

हालांकि, कांग्रेस और एनसीपी के दबाव में उद्धव ठाकरे का नाम आगे आया। इसके बाद शिंदे बैकफुट पर आ गए। उद्धव सरकार में शिंदे राज्य के शहरी विकास मंत्री होने के साथ ठाणे जिले के प्रभारी मंत्री भी हैं। कहा जाता है कि शिंदे कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन से खुश नहीं थे। इसके बाद उनके और उद्धव ठाकरे के बीच दूरियां बढ़ने लगीं। फरवरी 2022 में एकनाथ शिंदे के जन्मदिन पर भी उनके समर्थकों ने भावी मुख्यमंत्री के पोस्टर लगाए थे।

हादसे में दो बच्चों को खोया था
बात उस वक्त की है जब शिंदे पार्षद हुआ करते थे। इस दौरान उनका परिवार सतारा गया हुआ था। यहां एक हादसे में उन्होंने अपने 11 साल के बेटे दीपेश और 7 साल की बेटी शुभदा को खो दिया था। बोटिंग करते हुए एक्सीडेंट हुआ और शिंदे के दोनों बच्चे उनकी आंखो के सामने डूब गए थे।

उस वक्त शिंदे के दूसरे बेटे श्रीकांत सिर्फ 13 साल के थे। श्रीकांत इस वक्त कल्याण लोकसभा सीट से शिवसेना सांसद हैं। इस घटना के बाद शिंदे काफी टूट गए थे। उन्होंने राजनीति तक से किनारा कर लिया था। इस दौर में भी आनंद दिघे ने उन्हें संबल दिया और सार्वजनिक जीवन में फिर से लेकर आए।

11 करोड़ की संपत्ति, 18 केस भी चल रहे
2019 के विधानसभा चुनाव में एकनाथ शिंदे ने जो हलफनामा दिया था उसके अनुसार उनके ऊपर कुल 18 आपराधिक मामले चल रहे हैं। इनमें आग या विस्फोटक पदार्थ से नुकसान पहुंचाने, गैरकानून तरीके से इकट्ठा हुई भीड़ का हिस्सा होना, सरकारी कर्मचारी के आदेशों की अवहेलना करने जैसे आरोप हैं। इस हलफनामे के मुताबिक शिंदे के पास कुल 11 करोड़ 56 लाख से ज्यादा की संपत्ति है। इसमें 2.10 करोड़ से ज्यादा की चल और 9.45 करोड़ से ज्यादा की अचल संपत्ति घोषित की गई थी।

छह कारें और एक टैम्पो भी है शिंदे के पास
चुनावी हलफनामे के मुताबिक शिंदे के पास कुल छह कारें हैं। इनमें से तीन शिंदे के नाम और तीन उनकी पत्नी के नाम पर हैं। शिंदे की पत्नी के नाम पर एक टैम्पो भी है। शिंदे की छह कार के जखीरे में दो इनोवा, दो स्कॉर्पियो, एक बोलेरो और एक महिंद्र अर्मडा है। शिंदे के पास एक पिस्टल और एक रिवॉल्वर भी है।

कॉन्ट्रैक्टर हैं शिंदे और उनकी पत्नी
चुनावी हलफनामे में शिंदे ने खुद को कॉन्ट्रैक्टर और बिजनेसमैन बताया है। उनकी पत्नी भी कंस्ट्रक्शन का काम करती हैं। शिंदे ने विधायक के तौर पर मिलने वाली सैलरी, घरों से आने वाले किराये और इंटरेस्ट से होने वाली कमाई को अपनी आय का स्त्रोत बताया है।

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