400 करोड़ के लोन घोटाले में पीएनबी का मैनेजर गिरफ्तार

गाजियाबाद। लोन के नाम पर बैंकों को चार सौ करोड़ रुपये से अधिक का चूना लगाने वाले लोन माफिया लक्ष्य तंवर के सहयोगी पीएनबी के मुख्य प्रबंधक उत्कर्ष कुमार को एसआइटी और नगर कोतवाली पुलिस ने नोएडा से गिरफ्तार किया है।

नगर कोतवाली प्रभारी अमित कुमार खारी ने बताया कि लोन घोटाले में मंगलवार को पीएनबी के मुख्य प्रबंधक उत्कर्ष कुमार को गिरफ्तार किया गया है। उत्कर्ष मूलरूप से पटना (बिहार) का रहने वाला है और नई दिल्ली स्थित ईस्ट एंड अपार्टमेंट में रहता है। उत्कर्ष पूर्व में पीएनबी की चंद्रनगर शाखा में मुख्य प्रबंधक था और वर्तमान में उसकी तैनाती ग्रेटर नोएडा के शस्त्रा गामा कमर्शियल कांप्लेक्स स्थित बैंक की शाखा में चल रही है। पुलिस के मुताबिक आरोपित ने चंद्रनगर शाखा में रहते हुए लोन माफिया लक्ष्य तंवर के साथ मिलकर लोन के मामले में करोड़ों रुपये का फर्जीवाड़ा किया। लक्ष्य पर जहां करीब 39 धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े के केस दर्ज हैं, वहीं उत्कर्ष पर भी 12 केस विभिन्न थानों में दर्ज हैं।

नगर कोतवाली प्रभारी का कहना है कि उत्कर्ष के खिलाफ मिले ठोस सबूतों के आधार पर एसआइटी ने उसकी गिरफ्तारी की है। अभी बैंक का बर्खास्त मैनेजर संजय तितरवे, मैनेजर दुर्गा प्रसाद व लोन मैनेजर तारिक हुसैन, रविद्र जैन और प्रेमचंद भी एसआइटी के रडार पर हैं। रविद्र और प्रेमचंद रिटायर हो चुके हैं। साथ ही लक्ष्य की पत्नी प्रियंका तंवर समेत दर्जन भर आरोपितों को भी एसआइटी तलाश है।

लक्ष्य तंवर ने बैंकों की मिलीभगत से करोड़ों रुपये का घोटाला किया था। जिन्होंने पीएनबी बैंक के प्रबंधक और उप प्रबंधक के साथ मिलकर लोगों को विश्वास में लेकर फर्जीवाड़ा करके उनके नाम उनकी प्रापर्टी पर लोन लेते था। इस मामले में लक्ष्य की तुराब नगर और कविनगर की एक-एक प्रापर्टी को कुर्क किया जा चुका है जबकि सभी आरोपियों के 18 वाहन की कुर्की के आदेश हो चुके हैं। वहीं लक्ष्य के पिता, पत्नी समेत अन्य आरोपियों की संपत्ति को चिन्हित कर कुर्क करने की तैयारी की जा रही है। हाल में वैशाली और शालीमार गार्डन की तीन संपत्ति को जल्द कुर्क किया जाएगा।

पुलिस का कहना है कि लोन फर्जीवाड़े में लक्ष्य तंवर का साथ देने वाले पीएनबी के बर्खास्त एजीएम रामनाथ मिश्रा और प्रबंधक प्रियदर्शनी को पहले ही गिरफ्तार कर जेल भेजा चुका है। बैंक के अन्य कर्मचारी और अधिकारी भी एसआइटी की रडार पर हैं, जिनमें कुछ रिटायर भी हो चुके हैं।

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