डिजिटल बच्‍चे, लिखने में कच्‍चे; मोबाइल ने सुस्त कर दी कागज पर सरपट दौडऩे वाले बच्‍चों की कलम

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आनलाइन पढ़ाई में डिजिटल ज्ञान तो समृद्ध हुआ लेकिन कागज पर सरपट दौडऩे वाली बच्‍चों की कलम सुस्त पड़ गई। अब जब बच्‍चे स्कूल जाना शुरू किए तो हर जगह से यही शिकायत मिल रही है कि बच्‍चे पढ़ाई तो कर रहे हैं लेकिन लिखना भूल गए हैं।

आनलाइन पढ़ाई में डिजिटल ज्ञान तो समृद्ध हुआ, लेकिन कागज पर सरपट दौडऩे वाली ब’चों की कलम सुस्त पड़ गई। अब जब बच्‍चे स्कूल जाना शुरू किए तो हर जगह से यही शिकायत मिल रही है कि बच्‍चे पढ़ाई तो कर रहे हैं, लेकिन लिखना भूल गए हैं। मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र की मनोवैज्ञानिक डा.हिमांशु पांडेय ने स्कूलों में जाकर जब कक्षा छह से नौ तक के विद्यार्थियों का सर्वे किया तो यह बात सामने आई।

मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र के सर्वे में सामने आई बात

डा. पांडेय के मुताबिक शहर के तीन स्कूलों में बारी-बारी से 450 बच्‍चों का सर्वे किया गया। इस दौरान उन्हें 45 प्रश्नों का एक प्रारूप दिया गया। जिसमें शाब्दिक व अशाब्दिक दो तरह के प्रश्न थे। प्रश्नों का उत्तर लिखते समय कुछ ब’चों की लेखनशैली में कंपन देखने को मिला। साथ ही अक्षरों की बनावट में भी दूरी देखने को मिली। लंबे समय तक लिखने की आदत छूटने के कारण अक्सर इस तरह की प्रवृत्ति देखने को मिलती है।

40 फीसद बच्‍चे लिखने में कमजोर, 25 से 30 फीसद बच्‍चों में सीखने की प्रवृत्ति में कमी

उन्होंने बताया कि सर्वे के आधार पर जब सभी विद्यार्थियों का मूल्यांकन किया गया तो पाया गया कि 40 फीसद बच्‍चे जहां लिखने में कमजोर हैं वहीं 25 से 30 फीसद बच्‍चों में उम्र के सापेक्ष सीखने की प्रवृत्ति में कमी आई है। इसलिए इनकी लिखावट भी खराब हुई है।

मात्रात्मक त्रुटियों में भी हुई है वृद्धि

सर्वे में ब’चों की लिखावट में मात्रात्मक त्रुटियों में वृद्धि भी देखने को मिली। मनोवैज्ञानिक डा.पांडेय के अनुसार इसकी वजह ब’चों में अधिगम असमायोजन की स्थिति व उम्र के सापेक्ष अक्षर ज्ञान की असहजता है।

लिखावट बिगडऩे के कारण

आनलाइन क्लास में लिखने की बजाय रटकर पढ़ाई करना।

पंद्रह या बीस दिनों में कभी-कभार कापियों में लिखना।

शिक्षक द्वारा उपलब्ध कराई गई पठन-पाठन सामग्री की फोटोकापी कर पढ़ाई करना।

आफलाइन कक्षा के अनुपात में लिखने का अभ्यास कम करना। साभार-दैनिक जागरण

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