दिल्ली में तीनों प्रमुख कूड़े के पहाड़ों को खत्म करने के लिए नगर निगमों ने पूरी कर ली तैयारी, जल्द हो जाएंगे खत्म

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कूड़े से निकले निष्कि्रय अपशिष्ट के निस्तारण की भी व्यवस्था हो रही है। दक्षिणी निगम ने जहां पांच लाख टन निष्कि्रय अपशिष्ट को ताजपुर व जैतपुर पहाड़ी पर डालने के लिए योजना बनाई है तो वहीं उत्तरी निगम रानीखेड़ा में इस निष्कि्रय अपशिष्ट को डालेगा।

नई दिल्ली। राजधानी के तीन प्रमुख कूड़े के पहाड़ (गाजीपुर, ओखला और भलस्वा लैंडफिल) को खत्म करने में अब और तेजी आएगी। तीनों निगमों ने इसके लिए पूरी तैयारी कर ली है। इन साइटों पर जहां ट्रामल मशीनों की संख्या बढ़ाई जा रही हैं, वहीं कूड़े से निकले निष्कि्रय अपशिष्ट के निस्तारण की भी व्यवस्था हो रही है। दक्षिणी निगम ने जहां पांच लाख टन निष्कि्रय अपशिष्ट को ताजपुर व जैतपुर पहाड़ी पर डालने के लिए योजना बनाई है तो वहीं उत्तरी निगम रानीखेड़ा में इस निष्कि्रय अपशिष्ट को डालेगा। इसी तरह पूर्वी दिल्ली नगर निगम निविदा जारी करने की तैयारी कर रहा है, जिसमें कूड़े का ट्रामल करने से लेकर निष्कि्रय अपशिष्ट का निस्तारण की भी व्यवस्था होगी।

दरअसल, तीनों नगर निगम इन लैंडफिल साइटों को खत्म करना चाहते हैं। इसके लिए कोर्ट के निर्देश पर युद्धस्तर पर कार्य भी चल रहा है, लेकिन निगमों के सामने ट्रामल मशीनों से कूड़े को निस्तारण करने के बाद उत्पन्न हुए निष्कि्रय अपशिष्ट का भी निस्तारण करना था। तीनों नगर निगम पहले इस निष्कि्रय अपशिष्ट को बदरपुर में बन रहे एनटीपीसी के पार्क में डाल रहे थे। अब वहां पर पर्याप्त स्थान न होने की वजह से निगमों ने इसके लिए अलग व्यवस्था करने का फैसला लिया है। जहां दक्षिणी निगम की स्थायी समिति ने ओखला लैंडफिल पर उत्पन्न होने वाले पांच लाख टन निष्कि्रय अपशिष्ट को ताजपुर व जैतपुर की पहाड़ी पर डालने का फैसला लिया है।

समिति ने इसके लिए 19 करोड़ की लागत वाले प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जहां पर एक वर्ष में पांच लाख टन निष्कि्रय अपशिष्ट को लैंडफिल से ताजपुर व जैतपुर की पहाड़ी पर डाला जाएगा। उत्तरी निगम के एक अधिकारी ने कहा कि गाजीपुर लैंडफिल से उत्पन्न होने वाले निष्कि्रय अपशिष्ट को बदरपुर स्थित एनटीपीसी के पार्क में डाल रहे थे, लेकिन वह दूर होने की वजह से निगम को ज्यादा आर्थिक बोझ पड़ रहा था। इसके चलते हमने इसे रानीखेड़ा में डालने का फैसला लिया है। पूर्वी निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वहां उत्पन्न निष्कि्रय अपशिष्ट के निपटान के लिए निविदा प्रक्रिया शुरू की जाने की तैयारी है। इस निविदा के माध्यम से ऐसे कार्य करने वाले को आमंत्रित किया जाएगा। यह ट्रामल मशीनों से लैंडफिल साइट पर पड़े कूड़े का निस्तारण भी करेगा, साथ ही निष्कि्रय अपशिष्ट को डालने के लिए भी स्थान की तलाश करेगा।

क्या होता है निष्कि्रय अपशिष्ट

लैंडफिल साइट पर पड़े कचरे के निस्तारण के लिए निगम ने ट्रामल मशीनें लगाई हैं। इन मशीनों का कार्य कूड़े में मिट्टी को अलग करना है तो वहीं प्लास्टिक व लोहे को अलग किया जाता है। कूड़े से यह जो मिट्टी निकलती है इसे ही निष्कि्रय अपशिष्ट कहा जाता है। ट्रामल मशीनों से तीनों लैंडफिल पर यह कार्य चल रहा है, जहां बड़ी मात्रा में निष्कि्रय अपशिष्ट एकत्रित हो रहा है। पहले इसके निस्तारण के लिए निगम को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था।

ओखला लैंडफिल साइट

-18 ट्रामल मशीनें कर रही हैं कूड़े का निस्तारण

– 5500 टन कूड़े का प्रतिदिन कूड़े का ट्रामल मशीनों से किया जाता है निस्तारण

– 4.50 लाख टन निष्कि्रय अपशिष्ट को दूसरे स्थानों पर भेजा जा चुका है

– 1.50 लाख टन निष्कि्रय अपशिष्ट को एनटीपीसी के ईको पार्क में भेजा जा चुका है

– 20 मीटर तक लैंडफिल पर कूड़े की टीले को खत्म किया जा चुका है

भलस्वा लैंडफिल

– 24 ट्रामल मशीनें यहां कर रही हैं कार्य

– 5500-6000 टन कूड़े का प्रतिदिन ट्रामल मशीनों से होता है निस्तारण

– तीन लाख टन निष्कि्रय अपशिष्ट अभी भलस्वा लैंडफिल पर है

– 591 टन निष्कि्रय अपशिष्ट को एनटीपीसी के ईको पार्क में डाला था

– 12 मीटर तक कूड़ा हटाकर 15000 वर्ग मीटर क्षेत्र से कूड़े को निस्तारित किया

गाजीपुर लैंडफिल साइट

– कूड़े के निस्तारण के लिए यहां लगा रखी हैं 20 ट्रामल मशीनें

– 3600 टन प्रतिदिन पुराने कूड़े का किया जाता है निस्तारण

– 15 मीटर तक कम कर दी गई है लैंडफिल की ऊंचाई

– 7.51 लाख टन कूड़े का किया जा चुका है निस्तारणसाढ़े तीन लाख टन निष्कि्रय अपशिष्ट को भेजा गया है कई स्थानों पर।

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